संपत्ति के लिए महाराज की हत्या!

लखनौर, मधुबनी: दिव्य ज्योति संस्थान जालंधर के संस्थापक आशुतोष महाराज उर्फ महेश झा के पूर्व ड्राइवर पंजाब के जालंधर जिला के नूरमहल निवासी पूरण सिंह देसल बुधवार को लखनौर गांव पहुंचे. उन्होंने दिलीप झा व परिवार के अन्य लोगों से मुलाकात की. उन्होंने बताया है कि आश्रम में महाराज की समाधि की बात भ्रामक है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2014 5:00 AM

लखनौर, मधुबनी: दिव्य ज्योति संस्थान जालंधर के संस्थापक आशुतोष महाराज उर्फ महेश झा के पूर्व ड्राइवर पंजाब के जालंधर जिला के नूरमहल निवासी पूरण सिंह देसल बुधवार को लखनौर गांव पहुंचे. उन्होंने दिलीप झा व परिवार के अन्य लोगों से मुलाकात की. उन्होंने बताया है कि आश्रम में महाराज की समाधि की बात भ्रामक है. आश्रम के कुछ लोग समाधि का भ्रम फैला कर मामले की सच्चई को छुपाना चाहते हैं. पूरण सिंह ने आशंका जतायी है कि आश्रम के कुछ लोग साजिश के तहत बाबा की हत्या कर दी है. अब इस मामले पर परदा डालने के लिए समाधि का राग अलाप रहे हैं.

उन्होंने कहा कि संस्थान के अरविंदानंद, विशालानंद, सर्वानंद एवं मोहनपुरी ने सत्ता हथियाने की नीयत से उनकी हत्या कर दी है अथवा कराने की आशंका है. उन्होंने कहा कि यदि नीयत साफ है तो मीडिया, प्रशासन एवं आम आदमी को समाधि का सच क्यों नहीं दिखाया जा रहा है. नूरमहल संस्था द्वारा अभी भी समाधि की बात कह कर भ्रम फैलाया जा रहा है. वे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की जायेगी. सच और झूठ को सबके सामने लाने का काम करेंगे. उन्होंने महाराज के पुत्र दिलीप झा को इस घटना में पूरी तरह साथ देने का वचन दिया.

चार साल रहे साथ

उन्होंने बताया कि 1988 में महाराज से दीक्षा पाकर उनकी निजी गाड़ी के चालक के रूप मे ं1992 तक कार्य किया. इन चार सालों में बातचीत के क्रम में उन्होंने अपने को बिहार के दरभंगा का निवासी बताया. गांव का नाम पूछे जाने पर कहते थे कि समय आने पर बताऊंगा. वे सत्यपाल महाराज के धर्म प्रचारक के रूप में देश एवं विदेश में कार्य करते थे. 1982 में नूरमहल निवासी बलवंत सिंह ने उन्हें एक किराये का घर दिया. जहां उन्होंने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना 1983 में की. जिसे 1991 में पंजीकृत किया गया. 2001 में उसे एक महात्मा से ज्ञात हुआ कि वे शादी शुदा हैं. और एक बालक भी है. पूरण सिंह ने बताया कि संस्थान कर्मी ने उनके खिलाफ दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में 2007 में मुकदमा दर्ज किया. क्योंकि मैं लगातार संस्थान कर्मी के खिलाफ मीडिया की सुरखी में रहता था. उसने बताया कि अब एक मात्र उद्देश्य बाबा के पार्थिव शरीर उनके पुत्र को सुपुर्द कराना है.

मंत्री ने दिलीप से की मुलाकात

इधर, बुधवार को ग्रामीण विकास व समाज कल्याण मंत्री नीतीश मिश्र ने दिलीप से उनके लखनौर स्थित घर पर जाकर मुलाकात की. उन्होंने महाराज के पार्थिव शरीर को लाने की दिशा में होने वाले हर प्रयास में मदद करने का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा है कि पंजाब में बादल सरकार है. पर बिहार सरकार के माध्यम से इस संदर्भ में जरूर बात की जायेगी.

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