आठ जवानों के जिम्मे आठ ट्रेनों का स्कॉट

असुरक्षित यात्रा. जवानों की कमी से जूझ रहा जीआरपी मधुबनी : दरभंगा-जयनगर रेलखंड पर यात्रा करने वाले रेल यात्री असुरक्षित हैं. कब ट्रेन में उनके साथ कोई हादसा हो जाये कहा नहीं जा सकता है. इस रेलखंड पर परिचालित हो रही अधिकांश ट्रेनों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है. सवारी गाड़ी की बात कौन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2017 5:51 AM

असुरक्षित यात्रा. जवानों की कमी से जूझ रहा जीआरपी

मधुबनी : दरभंगा-जयनगर रेलखंड पर यात्रा करने वाले रेल यात्री असुरक्षित हैं. कब ट्रेन में उनके साथ कोई हादसा हो जाये कहा नहीं जा सकता है. इस रेलखंड पर परिचालित हो रही अधिकांश ट्रेनों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है. सवारी गाड़ी की बात कौन कहे, लंबी दूरी की सुपरफास्ट ट्रेन तक में स्कॉट तक का इंतजाम नहीं है. दरअसल एक ट्रेन में स्कॉट के लिये जीआरपी के अधिकारी सहित कम से कम छह जवान की जरूरत होती है. पर दरभंगा मधुबनी रेलखंड में ट्रेनों की सुरक्षा के लिए जयनगर में मात्र 19 जीआरपी के जवान हैं. इन्ही से ट्रेनों की सुरक्षा के साथ साथ स्टेशन की सुरक्षा, विभागीय काम सहित कई जिम्मेदारी को पूरा किया जाता है. जिस कारण ट्रेनों में स्कॉट नहीं हो पा रही है तो दूसरी ओर जितने जवान हैं उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
जीआरपी जयनगर से मिली जानकारी के अनुसार जयनगर स्थित जीआरपी थाना में मात्र 19 जवान पदस्थापित है. इन जवानों में से एक जवान मधुबनी स्टेशन पर, दो जवान राजनगर एवं दो जवान की ड्यूटी खजौली स्टेशन पर लगी है. वहीं छह जवान को हर हाल में जयनगर स्टेशन पर रहना है. बचे आठ जवान के भरोसे ही जयनगर स्टेशन की सुरक्षा ट्रेनों की सुरक्षा है.
दो ट्रेन में ही हो पाती है स्कॉट : जीआरपी सूत्रों का कहना है कि जवानों की कमी के कारण मात्र दो ट्रेन में ही स्कॉट हो पाती है. इसमें एक जयनगर से हावड़ा-धुलियान सवारी गाड़ी एवं एक जयनगर से समस्तीपुर सवारी गाड़ी है. जबकि इस रेलखंड पर जनसाधारण, जयनगर रांची साप्ताहिक गाड़ी. सहित अन्य कई लंबी दूरी की ट्रेन व सवारी गाड़ी में भी स्कॉट होनी चाहिये. जो नहीं हो पा रही है. इन जीआरपी की जिम्मेदारी कुछ गाड़ी को दरभंगा स्टेशन तक स्कॉट करके ले जानी होती है तो कुछ को समस्तीपुर तक.
स्कॉट के लिये कम से कम छह जवान की आवश्यकता : जीआरपी के अधिकारी बताते हैं कि एक ट्रेन में स्कॉट के लिये कम से कम छह जवान की जरूरत होती है. इसमें एक अधिकारी, एक हवलदार एवं चार जवान चाहिये. इस हिसाब से भी मात्र दो ट्रेन के स्कॉट की ही क्षमता जीआरपी के पास है.
दर्जनभर ट्रेन का होता परिचालन, आवश्यकता तीस की, उपलब्ध हैं 19 जवान
53041 धुरियान सवारी गाड़ी जयनगर से हावड़ा
752010 डीएमयू जयनगर से समस्तीपुर
15547 जनसाधारण एक्सप्रेस जयनगर से लोकमान्य तिलक
18606 रांचीएक्सप्रेस जय नगर से रांची
55513 सवाड़ी गाड़ी समस्तीपुर से जयनगर
55528 सवाड़ी गाड़ी पटना से जयनगर
55527 सवाड़ी गाड़ी जयनगर से पटना
स्कॉट में गये तो खाली हो जायेगा जीआरपी
जीआरपी के जवान दोहरी परेशानी से जूझ रहे हैं. यदि नियमित रूप से दो ट्रेन का स्कॉट करते हैं और इस बीच अन्य जगहों पर कहीं कोई हादसा हो जाता है तो जयनगर जीआरपी को या तो खाली छोड़कर जवानों को घटना स्थल पर जाना होता है या फिर स्कॉट टीम के वापस आने तक का इंतजार करना होता है. सीमावर्ती क्षेत्र रहने के कारण आये दिन ट्रेन से तस्करी की बात भी सामने आती रही है. ऐसे में जयनगर स्टेशन पर भी व्यापक रूप से चौकसी बरतनी होती है. पर जवानों की संख्या कम रहने से इन्हें काम के निष्पादन में भारी परेशानी होती है.
14649/73 सरयू यमुना/शहीद जयनगर से अमृतसर
13225 इंटरसिटी एक्सप्रेस राजेंद्रनगर से जयनगर
13226 इंटर सिटी एक्सप्रेस जयनगर से राजेंद्रनगर
13185 गंगासागर एक्सप्रेस सियालदह से जयनगर
13186 गंगासागर एक्सप्रेस जयनगर से सियालदह
18605 रांची एक्सप्रेस रांची से जयनगर
18419 पूरी एक्सप्रेस पूरी से जयनगर
12570 गरीब रथ आनंद बिहार से जयनगर
13135 एक्सप्रेस कोलकता से जयनगर
13136 एक्सप्रेस जयनगर से कोलकता
जवानों की कमी के कारण काफी परेशानी होती है. ना तो जीआरपी बैरक को छोड़ सकते हैं और ना ही ट्रेन को. हर दिन परेशानी से जूझना पड़ता है.
सुदीन बेसरा, थानाध्यक्ष जीआरपी जयनगर
ऐसे होती निगरानी
ट्रेनों का सही तरीके से परिचालन हो, इसके लिये आवश्यक है कि ट्रैक भी सही हो. जयनगर- दरभंगा रेलखंड पर ट्रैक के निरीक्षण के लिये गैंग बनाया गया है. तारसरास से जयनगर तक के लिये ट्रैक की निगरानी की जाती है.
गैंग टीम इस प्रकार है.
तारसराय- सकरी
सकरी – पंडौल
पंडौल – मधुबनी
मधुबनी – मंगरपट्टी
मंगरपट्टी – राजनगर
राजनगर – ललित लक्ष्मीपुर हॉल्ट
ललित लक्ष्मीपुर – खजौली
खजौली – कोरहिया
कोरहिया – जयनगर

Next Article

Exit mobile version