आउटडोर में दवाओं की कमी निजी दुकानों से करते खरीद

36 की जगह 12 प्रकार की दवाएं हैं उपलब्ध मधुबनी : मनिगाछी निवासी लाडली परवीन अपने बच्चे का आर्थो में उपचार के लिए आयी. लेकिन आर्थो चिकित्सक द्वारा उपचार तो किया गया लेकिन पीओपी व अन्य सामग्री उसे निजी दवा दुकान से ही खरीदनी पड़ी. लहेरियागंज निवासी पिंकी कुमारी को महिला चिकित्सक द्वारा जांच की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2017 6:17 AM

36 की जगह 12 प्रकार की दवाएं हैं उपलब्ध

मधुबनी : मनिगाछी निवासी लाडली परवीन अपने बच्चे का आर्थो में उपचार के लिए आयी. लेकिन आर्थो चिकित्सक द्वारा उपचार तो किया गया लेकिन पीओपी व अन्य सामग्री उसे निजी दवा दुकान से ही खरीदनी पड़ी. लहेरियागंज निवासी पिंकी कुमारी को महिला चिकित्सक द्वारा जांच की गयी. जांचोपरांत जब वह दवा लेने दवा काउंटर पर आयी तो उसे एक भी दवा नहीं दिया गया. क्योंकि दवा उपलब्ध था ही नहीं. विडंबना तो यह है कि कैल्शियम की दवा भंडार में लगभग डेढ़ वर्षों से नहीं हैं. इतना ही नहीं अस्पताल में आने वाले महिला मरीजों की चिंता और अधिक बढ़ जाती है जब इलाज के नाम पर अस्पताल परिसर में बिना ड्रेस कोड की आशा, ममता व अन्य कर्मियों द्वारा इन्हें सीधे निजी जांच घरों में लेकर जाया जाता है.
दवा नहीं, दुआ से चलता है काम.स्वास्थ्य विभाग आम लोगों को स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही मुफ्त में दवा भी उपलब्ध कराने के लिए लगातार पहल किये जाने के बाद भी सदर अस्पताल के ओपीडी में दवा की किल्लत है. यहां आने वाले मरीजों को केवल परामर्श से ही संतोष करना पड़ता है. यदि दवा की जरूरत होती है तो अस्पताल से बाहर के दुकान से दवा की खरीदार करनी पड़ती है.
सर्दी, खांसी, दर्द, बुखार, बीपी… की नहीं हैं दवाएं. सदर अस्पताल में औसतन लगभग 600 से 700 मरीज प्रतिदिन ओपीडी में पंजीकृत होते हैं. जिसमें दंत, स्त्री रोग, चर्म, फिजिशीयन, आर्थो, चाइल्ड आदि से संबंधित मरीज होते हैं. चिकित्सकों द्वारा आये हुए मरीज की जांच तो किया जाता है. पर जब वे दवा काउंटर पर पहुंचकर दवा की मांग करते है तो उन्हें दवा नहीं है कह कर अपनी असमर्थता व्यक्त किया जाता है कर्मियों द्वारा. आउट डोर दवा भंडार में विगत 25 दिनों से केवल बच्चों का ही कुछ दवा उपलब्ध है. वहीं न तो सर्दी, खांसी, बुखार, दर्द, कैल्शियम व ताकत की दवा ही यहां उपलब्ध है. जबकि सरकार द्वारा प्रति वर्ष करोड़ों रुपये की दवा की खरीदारी का वारा न्यारा किया जाता है.
महज 12 प्रकार की दवा से ही ओपीडी का येन केन प्रकारेण के तहत कार्य संपादित किया जा रहा है.
24 प्रकार की दवाएं 25 िदनों से उपलब्ध नहीं
ओपीडी दवा पंजीकरण काउंटर पर नियमानुसार 36 प्रकार की दवा उपलब्ध रखने का निर्देश व व्यवस्था विभाग द्वारा किया गया है. लेकिन आउट डोर दवा भंडार में महज 12 प्रकार की दवा ही उपलब्ध है. ऐसे में सैकड़ों की संख्या में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को दवा की खरीदारी निजी दवा दुकानों से ही करनी पड़ती है. आउट डोर में 36 प्रकार की दवा की जगह 12 प्रकार की दवा ही उपलब्ध है. वहीं 24 प्रकार की दवा लगभग 25 दिनों से उपलब्ध नहीं है. ऐसे में गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की परिकल्पना केवल कागजों में ही सिमट कर रह गया है.
जल्द होगी दवा की अापूर्ति
वित्तीय वर्ष समाप्त हुआ है. इनडोर में दवा उपलब्ध है. जल्द ही दवा की आपूर्ति की जायेगी. वहीं अन्य समस्या के समाधान के लिए भी अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिया रहा है. हमारी कोशिश है कि अस्पताल आने वाले सभी मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधाओं के साथ उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली दवा भी उपलब्ध कराया जा सके.
डाॅ अमरनाथ झा, सिविल सर्जन

Next Article

Exit mobile version