मुख्य पार्षद को ले तीन खेमों में चल रहा शतरंज का दावं

मधुबनी : नगर निकाय चुनाव रविवार को शांति पूर्वक संपन्न हो जाने के बाद अब लोगों की नजरें मंगलवार को होने वाले मतगणना को लेकर है. हर ओर चुनाव में वोटों का आंकलन ही करने में प्रत्याशी व उनके समर्थक लगे हुए हैं. कहीं किसी के पक्ष में कोई बातें कर रहा है तो कोई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2017 5:50 AM

मधुबनी : नगर निकाय चुनाव रविवार को शांति पूर्वक संपन्न हो जाने के बाद अब लोगों की नजरें मंगलवार को होने वाले मतगणना को लेकर है. हर ओर चुनाव में वोटों का आंकलन ही करने में प्रत्याशी व उनके समर्थक लगे हुए हैं. कहीं किसी के पक्ष में कोई बातें कर रहा है तो कोई किसी और के पक्ष में. लोग घर बैठे बैठे एक एक वोटों के आंकलन करने लगे हैं.

इस पर ठोस दावा भी कई लोगों द्वारा किया जा रहा है. इसके साथ ही मतगणना से पहले ही मुख्य पार्षद के चुनाव को लेकर भी राजनीतिक सरगरमी तेज हो गयी है. शहर में वर्तमान मे तीन खेमा मुख्य पार्षद के चुनाव को लेकर शतरंज की विसात बिछा चुके हैं. इन खेमा के द्वारा जीतने की उम्मीद वाले प्रत्याशियों से संपर्क साधने का दौर भी रविवार की शाम से ही शुरू हो गयी है. सोमवार को तो यह पूरे चरम पर रहा. दूसरी ओर जो प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं. उनके समर्थकों के द्वारा बाजार में अन्य प्रत्याशियों से मुख्य पार्षद को लेकर मन टटोलने का दौर भी शुरू हो चुका है.
बाजार के राजनीतिक सूत्रों व नप के राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों की मानें तो नप चुनाव में मधुबनी के मुख्य पार्षद की कुर्सी को लेकर तीन खेमा में शहर बंटा हुआ है. तीनो खेमा अभी से ही दांव पर दांव चल रहे हैं. शतरंज की विसातें बिछा दी गयी हैं. इसमें एक खेमा वर्तमान सत्ताधारी का है. जिन्होंने पहले भी कई दिग्गज को पटखनी देकर अपनी राजनीतिक दांव का लोहा मनवा लिया था. आज भी इनके राजनीतिक दांव पेंच बरकरार है. इस चुनाव में इनके राजनीति का बहुत कुछ चुनाव परिणाम पर भी है.
दूसरा खेमा सालों से नप व मधुबनी की राजनीति के गुरु कहे जाने वाले व्यक्ति का है. जानकार कहते हैं कि नप की राजनीति इन्ही के दरवाजे से शुरू होती है, पत्ता भी खड़कता है तो इस खेमा को पता पहले ही होती है. इस खेमा को भी सशक्त माना जा रहा है. हालांकि बीते कुछ सालों में राजनीतिक गलियारें में कदम रखने वाले कुछ नये खिलाड़ी ने इन्हें जरूर छकाया है. कुछ जगहों पर बुरी तरह से पटकी मार कर इनके पाले से गेम को अपने पक्ष में कर लिया है.
पर आज भी इनका लोहा पूरा शहर ही नहीं पूरा जिला मानता है. कहते हैं कि जिस प्रत्याशी के उपर इनका हाथ हो जाये तो फिर विरोधी खेमा में हलचल हो जाती है. दूसरों के लिये जीतना इतना आसान नहीं रह जाता
इस खेमा के द्वारा दो – दो प्रत्याशियों को मुख्य पार्षद का आशीर्वाद दिये जाने की बात बाजार में हो रही है. सूत्रों का कहना है कि ऐसा इस लिये है कि यदि एक प्रत्याशी पर चली गयी दांव कुछ भी ढीला या कमजोर दिखा तो तुरंत पास पलटते हुए दूसरे प्रत्याशी पर भी दांव भरने की तैयारी हो चुकी है. सूत्रों का कहना है ये खेमा हर हाल में अपनी बादशाहत को कायम रखना चाहते हैं. ऐसा इस लिये भी कि बीते कुछ सालों में इनको कई बार दूसरों ने पटकनी दी है. जिसका इस बार बदला लेने की हर संभव कोशिश करेंगे.
तीसरा खेमा हाल ही में चर्चा में आया है. बीते जिला परिषद चुनाव में तीसरा खेमा उभर का सामने आया. ऐसी चाल चली की ना सिर्फ जिला परिषद की राजनीतिग गलियारें में अपनी झंडा गाड़ दी बल्कि शहर भर में कइ दिग्गजों को पटकनी दे दी. कहा तो यहां तक जाता है कि दूसरा खेमा जिसे गुरू माना जा रहा है, उसे कई दिनों तक जिप की राजनीति की हार पचाने में लग गये थे. इस बार भी ये दोनों आमने सामने हैं.
नप के मुख्य पार्षद को लेकर राजनीतिक दांव पेंच काफी दिलचस्प होने के आसार दिख रहा है.

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