बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में सभी पेयजल स्रोतों की पहचान मानसून पूर्व करने का निर्देश दिया गया है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मियों से समन्वय स्थापित कर सहायता प्राप्त करने का निर्देश दिया. पेयजल स्रोत बाढ़ के पानी जलजमाव से प्रभावित होता है. इसके कारण उस क्षेत्र के पीने के पानी के शुद्धिकरण छोटे स्रोतों के लिए क्लोरीन टिकिया ( हैलोजन टिकिया ) एवं बड़े स्रोतों के लिए ब्लीचिंग पाउडर के माध्यम से करने का निर्देश दिया गया है.
बाढ़ आने पर भी उपलब्ध होगी चिकित्सीय सुविधा
स्वास्थ्य विभाग बाढ़ के समय होने वाली बीमारियों की रोकथाम में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहता है. इसके लिए बाढ़ पूर्व तैयारियों के लिए संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सिविल सर्जन ने निर्देश दिया है. बाढ़ आने पर प्रभावित इलाके के लोगों को सुगमतापूर्वक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके. डीएम की अध्यक्षता में गठित महामारी रोकथाम समिति को बाढ़ और जलजमाव से उत्पन्न होने वाली बीमारी के संभावित क्षेत्र का पहले के अनुभव के आधार पर चिन्हित कर तत्काल उपचार और रोकथाम की कार्रवाई करने को कहा गया है.
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