विश्व मलेरिया दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
मलेरिया की रोकथाम, नियंत्रण, उन्मूलन एवं जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. इसी क्रम में गुरुवार को सदर अस्पताल में विश्व मलेरिया दिवस का आयोजन किया गया.
मधुबनी. मलेरिया की रोकथाम, नियंत्रण, उन्मूलन एवं जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. इसी क्रम में गुरुवार को सदर अस्पताल में विश्व मलेरिया दिवस का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मलेरिया और जेई एवं एईएस के प्रचार-प्रसार एवं नियंत्रण के लिए जागरूकता रथ को सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया, एसीएमओ डा. आरके सिंह एवं डीवीबीडीसीओ डाॅ डीएस सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. विश्व मलेरिया दिवस पर सदर अस्पताल सहित विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सिविल सर्जन ने कहा कि मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है. जो प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है. उन्होंने कहा कि हर वर्ष विश्व मलेरिया दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक थीम जारी किया जाता है. इस वर्ष का थीम है ” मलेरिया के खिलाफ जारी लड़ाई में तेजी लाना है ” रखा गया है. सीएस ने कहा कि कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है.
चार तरह के होते हैं मलेरिया के परजीवी
सीएस ने कहा कि भारत में मलेरिया संक्रमण 65 प्रतिशत प्लाजमोडियम वाइवैक्स व 35 प्रतिशत प्लाजमोडियम फैल्सीपैरम के कारण होता है. छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में इस रोग के प्रति प्रतिकार क्षमता अत्यंत कम होती है. जिसके कारण माता मृत्यु, मृत शिशुओं का जन्म, नवजात शिशुओं का वजन अत्यधिक कम होना एक प्रमुख समस्या है. इसे रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व मलेरिया की जांच अनिवार्य की गई है. मलेरिया के परजीवी चार तरह के होते हैं. इसमें प्लाज्मोडियम वाइवैक्स एवं प्लाज्मोडियम फैल्सीपैरम टाइप के परजीवी जिले में पाए जाते हैं. यह बीमारी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है. जब यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो खून के साथ प्लाज्मोडियम उसके शरीर में आ जाता है और वह संक्रमित हो जाता है. वही जब किसी स्वस्थ मनुष्य को काटता है तो वह भी मलेरिया से संक्रमित हो जाता है. इस तरह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में इसका प्रसार होता है.
मलेरिया रोग के लक्षण
जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉक्टर डीएस सिंह ने कहा कि मलेरिया के लक्षण मादा मच्छरों के काटने के छह से आठ दिन बाद शुरू हो सकता है. ठंड लगकर बुखार का आना और बुखार के ठीक होने पर पसीने का आना.थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों के दर्द, पेट की परेशानी एवं उल्टी होना. बेहोशी आना, एनीमिया एवं त्वचा की पीली रंग की विकृति शामिल है.वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी राकेश कुमार रंजन ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लिए मलेरिया से बचना बहुत आवश्यक है. क्योंकि यह बीमारी उनके गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान पहुंचा सकता है. गर्भवती महिला को सोते समय कीटनाशक से उपचारित मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सर्दी, कंपन के साथ बुखार एवं तेज बुखार या सर दर्द, बुखार उतरते समय पसीना आना आदि लक्षण हो तो तुरंत स्वास्थ्य कर्मी या स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें.
क्या है बचाव
अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें. पानी के बर्तन टंकियों को हमेशा ढककर रखें.पशु और पक्षियों के बर्तन को सप्ताह में एक बार सुखा कर इस्तेमाल करें.
ठहरे हुए पानी जैसे तालाब कुआं आदि में गंबुशिया मछली डालें यह मछली मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा को खा जाती है. इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया, एसीएमओ डॉ आरके सिंह, डीवीबीडीसीओ डाॅ डीएस सिंह, वीडीसीओ राकेश कुमार रंजन सहित दर्जनों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे.
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