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स्वच्छ सर्वेक्षण में जन भागीदारी से आ सकता है बेहतर अंक

स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 शुरू हो गया है. इसके लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन पहले ही जारी हो चुकी है. तीन स्तरों में बांटे गए इस मूल्यांकन मापदंड में जनता की भी जिम्मेदारी तय की गई है.

मधुबनी . स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 शुरू हो गया है. इसके लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन पहले ही जारी हो चुकी है. तीन स्तरों में बांटे गए इस मूल्यांकन मापदंड में जनता की भी जिम्मेदारी तय की गई है. जनता की भूमिका 14 फीसद यानी 1295 अंकों तक निर्धारित है. दरअसल, शहरवासियों की आदतों पर भी सर्वेक्षण के मानक निर्भर हैं. खास तौर पर स्रोत पृथक्करण, अपशिष्ट संग्रह, घरों में ही सूखे एवं गीले कचरे को अलग अलग करना दैनिक आदतों में शामिल किया जाना है. जलाशय एवं सार्वजनिक स्थानों में कचरे को न फेंकना, यत्र तत्र ना थूकना इस तरह की गतिविधियों को अपनाकर नागरिक अपनी ओर से स्वच्छ सर्वेक्षण में सहभागिता दे सकते हैं. गीला-सूखा कचरा अलग-अलग नहीं शहर के वार्डों में कचरा कलेक्शन वाहन संचालित हैं. कुछ वार्डों में सूखा कचरा अधिक निकलता है, तो कुछ वार्डों में गीला कचरा. नागरिक घर में गीला-सूखा कचरा अलग-अलग नहीं करते हैं. नागरिक कचरा कलेक्शन गाड़ी का इंतजार किए बना सड़क पर ही यत्र तत्र कटरा फेंक देते हैं. जिसके कारण कचरा कलेक्शन वाहन चालक छोड़ कर चले जाते हैं. हालांकि कई जगह वहां का इंतजार भी करते देखे जा रहे हैं. दरअसल, वे वाहन के दोनों चेम्बर भरने के बाद ही डंपिंग ग्राउंड पर जाते हैं. ऐसा देखा जाता है कि इसके अलावा काफी संख्या में नागरिक एवं सफाई कर् कचरे को जला देते हैं. इस आदत से रैंकिंग में 20 अंकों का नुकसान होता है. कहीं भी थूकने की आदत अक्सर आवासीय एवं व्यावसायिक क्षेत्रों में रेड स्पॉट देखे जाते हैं, जो आमजन के पान-गुटखा खाकर थूकने से बने होते हैं. खुले में पेशाब करने की आदत के कारण यलो स्पॉट भी रैंकिंग में अंकों को कम कर सकती है. दोनों के लिए 60-60 अंक निर्धारित हैं. कचरे के बाक्स को अधिक भरने की आदत से भी अंकों में नुकसान होगा. नालियों में कचरा फेंकने की आदत भी काफी नुकसान पहुंचा सकती है. क्या कहते हैं अधिकारी नगर निगम के नगर प्रबंधक राजमणि कुमार ने बताया कि अपशिष्ट को स्रोत पर ही 100 प्रतिशत अलग-अलग करने वाले वार्डों में गीला, सूखा, सैनेटरी, एवं घरेलू हानिकारक कचरे को अलग रखने पर ही 300 अंकों का फायदा हो सकता है. इसके लिए जन जागरुकता अभियानों में और तेजी लाई जाएगी.

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