सदर अस्पताल में बायोप्सी की सुविधा उपलब्ध
सदर अस्पताल स्थित होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर केयर क्लिनिक द्वारा बायोप्सी की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है.
मधुबनी. जिले के कैंसर मरीजों को बायोप्सी कराने के लिए अब पटना, दिल्ली सहित बड़े शहरों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. सदर अस्पताल स्थित होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर केयर क्लिनिक द्वारा बायोप्सी की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. इसी क्रम में बुधवार को सदर अस्पताल के ओटी में होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर केयर क्लिनिक द्वारा मुजफ्फरपुर से आई डॉ. अनुराधा एवं क्लस्टर कोऑर्डिनेटर डॉ. सरिता की उपस्थिति में मधुबनी टीम की डीटीओ डा. अनुप्रिया, डॉ. रिया कश्यप, नर्सिंग स्टॉफ मीरा कुमारी, एमटीएस दिलीप कुमार सिंह द्वारा हाईली सस्पेक्टेड स्तन कैंसर की 66 वर्षीय एक महिला की कोर नीडल बायोप्सी की गई. मधुबनी सदर अस्पताल में होमी भाभा की टीम द्वारा सुचारू रुप से स्तन, मुंह एवं बच्चेदानी की जांच की जा रही है. इसके अलावे संदिग्ध एवं अति संदिग्ध मरीजों की बायोप्सी, पैप स्मियर, वीआईए आदि की जांचकर रोग की पुष्टि भी की जाती है. सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि राज्य सरकार की पहल पर जिले के सदर अस्पताल में होमी भाभा के डॉक्टर द्वारा बायोप्सी की सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है. बीपीएल कार्ड व आयुष्मान भारत कार्ड वाले लोगों की कैंसर की बायोप्सी पूरी तरह से नि:शुल्क रखी गई है. लेकिन जिन लोगों के पास ये कार्ड नहीं हैं उनके लिए शुल्क 350 रुपया निर्धारित किया गया है. जो निजी संस्थानों से काफी कम है. इस सुविधा के शुरू हो जाने से लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी. उन्होंने कहा कि कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान होने से मरीज का समय से इलाज संभव है.
कैंसर जांच करना होगा आसान
डॉ. सरिता ने कहा कि बायोप्सी के माध्यम से कम समय में कैंसर की पहचान हो जाती है. इसके लिए मरीज के मुंह के अंदर प्रभावित इलाकों से टिशू नमूने के रूप में लिए जाते हैं. इसके बाद मशीन से उसकी जांच की जाती है. उन्होंने कहा कि बायोप्सी कई प्रकार की होती है. कई स्थानों पर ऑप्टिकल बायोप्सी की भी सुविधा है. उन्होंने बताया कि कैंसर की प्रारंभिक पहचान मरीज स्वयं कर सकते हैं. इसके लिए लक्षणों की पहचान जरूरी है. स्वयं जांच करने के लिए मरीज को अपने मुंह को साफ पानी से धोते हुए कुल्ला करने के बाद आइने के सामने अच्छी रोशनी में सफेद या लाल छाले, न ठीक होने वाले पुराने जख्म या घाव के साथ पूरा मुंह न खोल पाने जैसी बातों की जांच करनी है. यह परीक्षण महीने में एक बार अनिवार्य है. इससे कैंसर के लक्षणों की पहचान होगी. अगर मुंह के कैंसर के प्रारंभिक लक्षण दिखे तो तुरंत उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.