मधुबनी. सदर अस्पताल में पिछले छह माह से सिजेरियन डिलीवरी के मरीजों सिजेरियन किट नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण परिजनों को अब सिजेरियन की दवा बाहर से खरीदना पड़ रहा है. वहीं पीएम सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण जांच की व्यवस्था है. विदित हो कि वर्ष 2023 के जनवरी माह में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी ने प्रसव कक्ष के निरीक्षण के दौरान सी-सेक्सन की महिलाओं के लिए सिजेरियन किट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, ताकि सदर अस्पताल में सिजेरियन प्रसव होने पर मरीज के परिजनों को बाहर से एक रुपए की भी दवा नहीं खरीदना पड़े. इस संबंध में तत्कालीन सिविल सर्जन ने डीपीएम पंकज कुमार मिश्रा को प्रत्येक माह 100 सिजेरियन किट प्रसव कक्ष में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. निर्देश के आलोक में अस्पताल प्रबंधक द्वारा सिजेरियन किट प्रसव कक्ष की प्रभारी स्टाफ नर्स ए ग्रेड माधुरी कुमारी को किट उपलब्ध कराया. ताकि प्रसव कक्ष में आने वाली गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव व बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया जा सके. फरवरी 2023 से 20 मई तक प्रसव कक्ष में 340 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन डिलीवरी के लिए किट उपलब्ध कराया गया. लेकिन अब अस्पताल द्वारा केवल बिक्रिल ही उपलब्ध कराई जा रही है. इसके अलावे सभी दवा परिजनों को बाहर से ही लाना पड़ता है. ओटी की प्रभारी ने कहा कि विगत 6 माह से सिजेरियन किट उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन को लिखित सूचना के साथ ही सिजेरियन किट का इडेंट भी किया गया है. फिर भी सिजेरियन किट उपलब्ध नहीं कराया गया है. उपलब्ध कराया गया था सिजेरियन किट सदर अस्पताल स्थित प्रसव कक्ष की प्रभारी स्टाफ नर्स ने कहा कि फरवरी 2023 से नवम्बर 2023 तक लगभग 500 सी-सेक्शन गर्भवती महिलाओं को सिजेरियन किट उपलब्ध कराया गया था. जबकि अप्रैल 2023 से अप्रैल 2024 तक 813 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन डिलीवरी हुआ है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिजेरियन किट में दवा सहित अन्य उपकरणों की कीमत लगभग 3 हजार रुपए का होता है. इसमें प्रसव पूर्व एवं प्रसव के बाद की सभी आवश्यक दवा उपलब्ध रहती है. संस्थागत प्रसव बढ़ाने पर जोर मातृ एवं शिशु मृत्यु अनुपात को कम करने की महत्वपूर्ण रणनीति के तहत स्वास्थ्य विभाग संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए नित नई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. ताकि गर्भवती महिलाओं का रुझान संस्थागत प्रसव की ओर बढ़े और जिले में अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराया जा सके. ताकि मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके. सिविल सर्जन डॉ नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के प्रसव प्रबंधन की दिशा में आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचना में बदलाव से संस्थागत प्रसव की तस्वीर बदल रही है. जिसका परिणाम है कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक जिले में 40 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं का जिले में संस्थागत प्रसव हुआ. इसमें सदर अस्पताल में 5 हजार 900 नार्मल डिलीवरी हुई. जननी बाल सुरक्षा योजना के आर्थिक लाभ सिविल सर्जन ने कहा कि जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने के बाद अलग-अलग प्रोत्साहन राशि सरकार देती है. इसमें ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसके साथ ही इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों पर संदर्भित करने के लिए आशा कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में आशा को 600 रुपये एवं शहरी क्षेत्रों के लिए आशा को 400 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना के तहत संस्थागत प्रसव की ओर आम लोगों के बीच जागरूकता बढ़ रही है.
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