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आज से 25 जून तक भारी बारिश की संभावना

सक्रिय मानसून एवं कम दबाव के प्रभाव के कारण जिला में बारिश होने के आसार हैं. मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में कहा है कि 22 से 25 जून के बीच जिला में भारी बारिश हो सकती है.

मधुबनी. सक्रिय मानसून एवं कम दबाव के प्रभाव के कारण जिला में बारिश होने के आसार हैं. मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में कहा है कि 22 से 25 जून के बीच जिला में भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में जताया है कि इस अवधि के तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ सकती है. दिन का तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस, जबकि न्यूनतम तापमान 23-25 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है. वहीं सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिशत तथा दोपहर में 50 से 60 प्रतिशत रहने की संभावना है. पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पूरवा हवा चलने का अनुमान है.

समसामयिक सुझाव

पूर्वानुमानित अवधि में वर्षा की अच्छी संभावना को देखते हुए किसान भाईयों को अपने खेतों में मेड़ों को मजबूत बनाने का सुझाव दिया गया हे. वहीं धान की बीजस्थली में जो बिचड़े 10 से 15 दिनो के हो गये हो, खर-पतवार निकाल कर तथा प्रति एक हजार वर्ग मीटर बीजस्थली के लिए 5 किलो अमोनियम सल्फेट अथवा 2 किलो यूरिया का छिड़काव करना चाहिए. मौसम वैज्ञानिक ने कहा है कि इस अवधि में अच्छी वर्षा की संभावना को देखते हुए किसान भाई धान की रोपनी में प्राथमिकता देनी चाहिए. वर्षा जल का उपयोग कर रोपनी के कार्य में प्राथमिकता देनी चाहिए. रोपाई पूर्व खेतों की तैयारी के समय कद्दा के दौरान मध्यम एवं लम्बी अवधि की किस्मों के लिए 30 किलोग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटास तथा आगत किस्मों के लिए 25 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटाश के साथ 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 15 किलोग्राम प्रति हेक्टर चिलेटेड जिंक का व्यवहार करने की सलाह दी गयी है.

केला एवं सब्जी की खेती पर दें ध्यान

इस समय केला की रोपाई करना किसानों के लिये लाभदायक है. उत्तर बिहार में लंबी किस्मों के लिए अलपान, चम्पा, कंथाली, मालभोग, चिनियां, शक्कर चिनियां तथा बौनी एवं खाने वाली किस्मों के लिए ब्रैडनेन, रोबस्टा, बसराई, फिआ-1 प्रमाणित है. इसी प्रकार सब्जी वाली किस्में बतीसा, सावा, बनकेल, कचकेल तथा सब्जी एवं फल दोनों में उपयोग आने वाली किस्में कोठियां, मुठियां, दुधसागर एवं चकिया को अनुशंसित किया गया है. लम्बी जातियों में पौधा से पौधा की दूरी 2.1 मीटर है एवं बौनी जातियों में 15 मीटर रखें.

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