दो वर्ष से अधिक उम्र के शिशु को थैलेसीमिया का खतरा
थैलेसीमिया एक रक्त जनित रोग है, जो मानव शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को कम करता है. चिकित्सकों की माने तो हीमोग्लोबिन द्वारा ही पूरे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम होता है.
By Prabhat Khabar News Desk |
May 7, 2024 10:31 PM
मधुबनी: थैलेसीमिया एक रक्त जनित रोग है, जो मानव शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को कम करता है. चिकित्सकों की माने तो हीमोग्लोबिन द्वारा ही पूरे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम होता है. हीमोग्लोबिन का कम स्तर शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन की कमी करता है. इससे ग्रसित व्यक्ति के शरीर में रक्ताल्पता या एनीमिया की शिकायत हो जाती है. शरीर का पीलापन, थकावट एवं कमजोरी का एहसास होना इसके प्राथमिक लक्षण होते हैं. तुरंत उपचार नहीं होने पर थैलेसीमिया के मरीज के शरीर में खून के थक्के जमा होने लगते हैं. थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है. विश्व थैलेसिमिया दिवस का इस वर्ष का थीम ” जीवन को सशक्त बनाना, प्रगति को गले लगाना, सभी के लिए न्याय संगत और सुलभ थैलेसीमिया उपचार ” रखा गया है. सिविल सर्जन डॉ नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि थैलेसिमिया एक गंभीर रोग है. जो वंशानुगत बीमारियों की सूची में शामिल है. इससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है. 2 वर्ष से कम आयु के शिशुओं को थैलेसीमिया से अधिक पीड़ित होने की संभावना रहती है. ब्लड बैंक प्रभारी डा. कुणाल कौशल ने कहा वर्तमान में जिले में थैलेसीमिया से ग्रसित 41 मरीज हैं. जो नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर हैं. थैलेसीमिया से पीड़ित सभी मरीजों को ब्लड बैंक द्वारा नि: शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जाता है.
ये हैं प्रारंभिक लक्षण
शरीर एवं आंखों का पीलापन, पीलिया से ग्रसित होना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, भूख नहीं लगना,
थकावट एवं कमजोरी महसूस होना,
बार-बार बीमार होना, सर्दी, जुकाम बने रहना, कमजोरी और उदासी रहना, आयु के अनुसार शारीरिक विकास नहीं होना एवं सांस लेने में तकलीफ होना शामिल है
कैसे करें थैलेसीमिया से बचाव
विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं
गर्भावस्था के दौरान इसकी जांच कराएं
मरीज का हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें
समय पर दवा लेने के साथ ही पूरा इलाज पूरा लें
सिविल सर्जन ने कहा कि किसी भी दंपति को शिशु के जन्म के बारे में सोचने के समय रक्त जांच अवश्य करवानी चाहिए. इससे प्रसव के समय किसी भी तरह की जटिलता से बचा जा सकता है. एनीमिया के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए, इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि गर्भवती स्त्री में मधुमेह के लक्षण हो तो उसे और सतर्कता बरतनी चाहिए व नियमित जांच करानी चाहिए.
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