मधुबनी . न्यायिक प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने को लेकर राज्य सरकार को दो हजार रुपये जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना एडीजे ग्यारह के न्यायाधीश मनीष कुमार ने सत्रवाद संख्या 37/21 में सुनवाई के दौरान लगाया है. न्यायालय ने आदेश दिया है कि जिला में पदस्थापित डीएम राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैं. इसलिए संबंधित दोषी कारा अधिकारी के वेतन से दो हजार रुपये काटकर कर राज्य सरकार के खाते में जमा करें. अपर लोक अभियोजक के अनुसार मामला सरकार बनाम संतोष कुमार से संबंधित है. मामला साक्ष्य पर चल रहा है. मामले के अभियुक्त बेनीपट्टी कारा में है. वहीं न्यायालय में मामले को गवाही देने तीन गवाह न्यायालय में उपस्थित हुए. लेकिन कारा से अभियुक्त को कोर्ट में उपस्थापन नहीं कराया गया. न्यायालय में जब मामला सामने आया तो पता चला कि न तो काराधीन अभियुक्त संतोष पासवान न्यायालय में उपस्थित है और न ही अभियुक्त का कोई अधिवक्ता नियुक्त है. वहीं न्यायालय में तीन साक्षी गवाही के लिए उपस्थित हैं. काराधीन अभियुक्त नहीं उपस्थित रहने के कारण न ही उनकी तरफ से अधिवक्ता नियुक्त किया जा सका और न ही सहमति से प्राधिकार की ओर से अधिवक्ता रखा जा सका. जबकि किसी व्यक्ति का मौलिक एवं विधिक अधिकार है कि उसके विरूद्ध चल रहे मुकदमे की जानकारी रहे. कोर्ट में इस मुकदमा में काराधीन अभियुक्त की अनुपस्थिति में कोई सुनवाई करना काराधीन अभियुक्त के मौलिक एवं विधिक अधिकार का हनन होगा. काराधीन अभियुक्त को न्यायालय में उपस्थित करना राज्य सरकार व उनके पदाधिकारियों का दायित्व है. न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार के अधिकारी को दोषी मानते हुए वेतन से दो हजार रुपये काटकर राज्य सरकार के खाते में जमा करने का आदेश दिया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है