Madhubani News़ धनतेरस 29 को, 31 को मनाईं जाएगी दीपावली व काली पूजा

धनतेरस एवं दीपावली पर्व को लेकर लोगों ने खरीदारी शुरू कर दी है. सोना चांदी सहित बर्तन एवं फूलमाला की दुकानें भी सज गई हैं. पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि का दिवस माना जाता है. भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देव हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | October 27, 2024 10:39 PM

Madhubani News़ मधुबनी. धनतेरस एवं दीपावली पर्व को लेकर लोगों ने खरीदारी शुरू कर दी है. सोना चांदी सहित बर्तन एवं फूलमाला की दुकानें भी सज गई हैं. पौराणिक दृष्टि से धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि का दिवस माना जाता है. भगवान धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देव हैं. भगवान धन्वंतरि से समस्त जगत को निरोग कर मानव समाज को दीर्घायु प्रदान करने की प्रार्थना की जाती है. पं. पंकज शास्त्री ने कहा है कि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के प्रणेता व वैद्य शास्त्र के देवता माने जाते हैं. आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही मानते हैं. आदि काल के ग्रंथों में रामायण-महाभारत व विविध पुराणों की रचना हुई है, इसमें सभी ग्रंथों ने आयुर्वेदावतरण के प्रसंग में भगवान धन्वंतरि का उल्लेख है. भगवान धन्वंतरि का वर्णन पुराणों के अतिरिक्त आयुर्वेद ग्रंथों में भी मिलता है. इसमें आयुर्वेद के अलावे सुश्रुत्र संहिता, चरक संहिता, काश्यप संहिता व अष्टांग हृदय में विभिन्न रूपों में उल्लेख मिलता है. इसके अतिरिक्त अन्य आयुर्वेदिक ग्रंथों भाव प्रकाश, शार्गधर व उनके ही समकालीन अन्य ग्रंथों में आयुर्वेदावतरण का प्रसंग उधृत है. इसमें भगवान धन्वंतरि के संबंध में भी प्रकाश डाला गया है. महाकवि व्यास द्वारा रचित श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना गया है. धनतेरस के दिन लोग सोने व चांदी के आभूषणों की खरीदारी करते हैं. इस दिन आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है. हालांकि लोग धनतेरस के दिन वाहन और अन्य सामानों की भी खरीदारी करते हैं. धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त भी निर्धारित होता है और मुहूर्त के दौरान खरीदारी करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस बार धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त मंगलवार दिन 11: 9 बजे से 1: 22, दोपहर 2: 47 से शाम 7: 47 तथा रात 8: 47 के बाद पूरी रात रहेगा. धनतेरस 29 व 31 अक्टूबर को मनाईं जाएगी दीपावली पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर मंगलवार को दिन के 11 बजकर 9 मिनट के बाद होगी. वहीं इसका समापन 30 अक्टूबर की दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर होगा. सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है. त्रयोदशी पूजा प्रदोष काल मे की जाती है. ऐसे में 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा. सामानों की खरीदारी के लिए उत्तम समय दिन के 11: 09 से 1:22 तक उत्तम है. इसके बाद दोपहर के 2: 47 से शाम 7: 8 तक शुभ समय है. इसके बाद रात 8: 47 के बाद पूरी रात घरेलू सामान की खरीदारी कर सकते है. लक्ष्मी कुबेर पूजा के लिए उत्तम समय दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से ही होती है. छोटी दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस पर्व को मनाया जाता है. सनातन शास्त्रों में धनतेरस पर्व का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की उपासना करने से जातक को जीवन में कभी भी आर्थिक कमी का सामना नहीं करना पड़ता है. दीपावली का महत्व धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक है. इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में भी मनाया जाता है. श्री राम जब लंका के राजा रावण को पराजित किया था तो उसी दिन अयोध्या में खुशी मनाई गई और दीपों से नगर को रोशन किया गया था. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. दीपावली ज्ञान रूपी प्रकाश द्वारा अज्ञान रूपी अंधकार को समाप्त करने का उत्सव है. दीपावली में सुदर्शन क्रिया का ज्ञान रूपी दीपक जलाकर स्वास्थ्य, आनंद एवं समृद्धि प्राप्त कर सकते है. इस बार दीपावली 31 अक्टूबर गुरुवार को मनाया जाएगा. इस बार अमावस्या तिथि कि शुरुआत पंचांग अनुसार 31 अक्टूबर को दिन के 3:22 के बाद होगा. इसका समापन 1 नवंबर को संध्या 5:23 पर होगा. इस तरह अमावस्या तिथि प्रदोषकाल 31 अक्टूबर को बन रही है और इसी रात्रि मे अमावस्या तिथि का निशित काल हो रही है. इसमें मां काली की पूजा होती है. दीपावली में लक्ष्मी गणेश पूजा के लिए उत्तम समय 31 अक्टूबर को शाम 5: 31 से रात्रि 9:55 तक अति उत्तम रहेगा. काली पूजा हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि की रात को मनाई जाती है. पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि इस दिन को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पूरे विधि- विधान के साथ मां काली की पूजा की जाती है. काली पूजा अर्धरात्रि में की जाती है. दीपावली के निशित रात्रि में किया जाता है. यह पूजा विशेष तौर पर बिहार, उड़ीसा और बंगाल में की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां काली की पूजा करने से सारे कष्टों को निवारण होता है. इसके साथ ही साधक को हर प्रकार के रोग और भय से मुक्ति मिलती है. मनचाहे वरदान के लिए भी काली माता की पूजा करना उत्तम माना जाता है. काली पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात्रि 11: 25 से रात्रि 12: 1 तक होगा.

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