Diwali Celebration: मधुबनी. घर- घर में साफ-सफाई और त्योहार से संबंधित आवश्यक सामानों की खरीदारी जोरों पर है. दीपावली रोशनी एवं पटाखों का त्योहार है. इस दौरान जलने वाले पटाखे की शोर और दमघोंटू धुएं से स्वास्थ्य को नुकसान भी हो सकता है. कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद हम सभी ने एक सबक लिया है कि प्रदूषण जितना कम फैलेगा सेहत के दृष्टिकोण से हम उतने ही स्वस्थ एवं सुरक्षित रहेंगे. ऐसे में दीपावली की खुशियां मनाने से पहले हर व्यक्ति को स्वयं संकल्प लेना चाहिए कि वे कम से कम आतिशबाजी करें या फिर आतिशबाजी नहीं कर अपने आपको सुरक्षित रखें. ताकि खुशियां बनी रह सके. यह समय सभी आयु वर्ग के लिए सतर्कता बरतने का समय है. लेकिन नवजातों, बुजुर्गों और गर्भवती की सेहत के लिए तो अधिक ख्याल रखने की जरूरत है. इसलिए त्योहार मनाते समय उनकी असुविधाओं को नजरंदाज नहीं करें और ध्यान रखें कि वे घर में सुरक्षित रहें.
रोशनी के जरिये त्योहार में बांटें खुशियां, प्रदूषण नहीं
सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा है कि पटाखे की तेज आवाज और धुआं वैसे तो सभी आयु वर्ग के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चे और 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन्हें नुकसान होने की अधिक संभावना होती है. इस उम्र में बुजुर्ग अस्थमा, हृदय संबंधी रोग या अन्य मानसिक और शारीरिक रोगों से जूझ रहे होते हैं. ऐसे में पटाखे के घातक तत्व सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कॉपर, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट से फैले जहरीले धुआं उनके लिए हानिकारक हो सकता है.
दीपावली में कम से कम पटाखे फोड़ें
पटाखे की तेज आवाज से मानसिक तनाव, हृदयाघात, कान के पर्दे फटने का या तेज रोशनी से आंखों को नुकसान होने का डर रहता है. यही नहीं पटाखे से निकलने वाले घातक तत्वों से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है. बुजुर्गों को इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलने दें. दमा के मरीजों को हमेशा इन्हेलर साथ रखने और जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल की हिदायत दें. उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक असुविधा या बदलाव दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें. साथ ही पटाखे के धुएं से वायु प्रदूषण को भी बढ़ावा मिलता है. इसलिए रोशनी के जरिये त्योहार में खुशियां बांटें प्रदूषण नहीं.
शिशुओं और गर्भवती को भी सतर्कता की जरूरत
पटाखे से सिर्फ बुजुर्गों को हीं नहीं छोटे बच्चों और गर्भवतियों को भी नुकसान पहुंचता है. तेज आवाज से जहां शिशुओं के कान के पर्दे फटने, त्वचा और आंखों को नुकसान का डर होता है, वहीं गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान होता है. इससे शिशु के जन्म के बाद भी उसमें कई विकृतियां हो सकती हैं. इसलिए शिशुओं और गर्भवती माताओं को भी बाहर नहीं निकलने दें.
श्वसन तंत्रिका हो सकती है प्रभावित
दीपावली में पटाखे के चलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण व्यक्ति के श्वसन तंत्रिका को प्रभावित करती है. इससे वैसे लोग जो पहले से सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं उनके लिए यह प्रदूषण काफी खतरनाक हो सकता है. इसलिए आवश्यक है कि कम से कम पटाखे चलायें. श्वसन तंत्रिका का संक्रमित या कमजोर होना हमारे लिए घातक हो सकता है.
हिदायत
दीपावली में कम से कम पटाखें चलायें.
पटाखों से वायु प्रदूषण की संभावना.
नेत्र एवं श्वसन तंत्रिका हो सकती प्रभावित.
प्रदूषण कोरोना की दृष्टि से भी सही नहीं.