Madhubani News. बाबूबरही. प्रखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध पुरातात्त्विक व ऐतिहासिक स्थल बलिराजगढ़ का मुआयना करने डीएम व जिला के अन्य पदाधिकारी व प्रखंड के तमाम पदाधिकारी का जत्था गुरुवार को पहुंचा. हलांकि डीएम अरविंद कुमार वर्मा के इस दौरे के बारे में कोई कुछ भी बताने से मना कर रहे. स्थानीय कुछ लोगों का मानना है कि इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में दर्जा दिए जाने की संभावना को तलाशने के लिए पदाधिकारियों का दल यहां पहुंचा हैं. डीएम ने मौके पर पहुंचे स्थानीय मुखिया लक्ष्मी पासवान, रालोमो नेता रंजीत कामत, अगम लाल कामत, रामलाल मंडल आदि से डीएम ने बलिराजगढ़ के बारे में जानकारी प्राप्त किया. बतादें कि अब तक पांच चरणों में इस स्थल का खुदाई कार्य हो चुका है. जिस कारण बिहार के तीन महत्वपूर्ण पुरातत्व स्थल में तेल्हारा और नालंदा के साथ बलिराजगढ का नाम आता है. यह स्थल विक्रमशिला और वैशाली से बड़ा है. वर्ष 1938 ईस्वी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा वर्ष 1962-63 में इसका प्रथम खुदाई प्रारंभ हुआ. लेकिन खात (खुदाई स्थल) से पानी आ जाने के कारण इसे बीच में ही रोक दिया गया. पश्चात तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र के प्रयास से 1972 -73 एवं 73-74 में दो चरणों में खुदाई हुई. फिर खुदाई को रोक दी गई. वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सेवा यात्रा के दौरान यहां एक घंटे का प्रवास कर खुदाई की संभावनाओं को तलाश किये गए थे. इन्हीं के प्रयास से वर्ष 2013-14 में दो चरणों में स्थल का फिर खुदाई हुई. इस दल में डीएम अरविंद कुमार वर्मा, डीडीसी दीपेश कुमार, डीपीओ मनरेगा अशोक कुमार राय, डीआरडीए डायरेक्टर सैयद सरफराजुद्दीन, बीडीओ राधारमण मुरारी, सीओ कुमार अभिषेक, मनरेगा पीओ दिनेश कुमार, जेई भगवान राम शामिल थे.
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