मधुबनी. प्रसिद्ध शिक्षा विद डॉ. संत कुमार चौधरी को अखिल भारतीय विद्वत परिषद् की ओर से विद्वद्भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया है. उन्हे स्वर्ण पदक, शाल, प्रतीक चिन्ह एवं सम्मानपत्र देकर सम्मानित किया गया. बता दें कि डा. चौधरी द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में अनेकों संस्थान शिक्षा, कृषि एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों में लोगों की सेवा कर रहे हैं. डा संत चौधरी चानपुरा, बसैठ के निवासी हैं. इन्हे अनेकों अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय सम्मान मिल चुका है. डॉ. चौधरी ने भारत के विभिन्न राज्यों में शिक्षण संस्थान स्थापित किए हैं और उनका संचालन अत्यधिक सफलता से हो रहा है, जिससे लाखों छात्रों को लाभ मिल रहा है. उनकी शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अद्वितीय सेवाओं को ध्यान में रखते हुए यह सम्मान उन्हें प्रदान किया गया. वाराणसी काशी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस समारोह में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रतिष्ठित विद्वानों को सम्मानित करने हेतु आयोजित किया गया था. परिषद् पिछले कई दशकों से इस प्रकार के आयोजन कर रही है, जिसमें न केवल देश, बल्कि विदेशों से भी शिक्षा जगत के महानुभाव शामिल होते हैं. इस आयोजन के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश केआयुष मंत्री डा दयाशंकर मिश्र “दयालु ” थे. जबकि विशिष्ट अतिथियों के रुप में महामंडेलश्वर महंत स्वामी श्रीपद्मनाभ शरण देवाचार्य,अशोक तिवारी महापौर, वाराणसी एवं प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा कुलपति, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी थे. इस आशय की जानकारी संपर्क अधिकारी आतिफ रहमानी ने दिया है. उन्होने बताया है कि इस समारोह का मुख्य उद्देश्य, शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले विद्वानों को सम्मानित करना और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में उनके दृष्टिकोण को साझा करना था. इस वर्ष के आयोजन में विश्वभर के विद्वानों ने हिस्सा लिया. जिन्होंने वर्तमान शिक्षा पद्धति और उसके सुधार के विषय में गहन चर्चा की. कार्यक्रम के दौरान, विद्वानों ने यह विचार किया कि कैसे शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाया जा सकता है, ताकि भारत पुनः शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक गुरु के रुप में प्रतिष्ठित हो सके. आयोजन में उपस्थित मुख्य अतिथि एवं अन्य सभी विशिष्टअतिथियों ने डॉ. चौधरी के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका यह कार्य न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सहायक सिद्ध होगा. उनके प्रयासों से भारत को शिक्षा के क्षेत्र में पुनः विश्व गुरु बनने में बल मिलेगा. परिषद् के अध्यक्ष एवं महासचिव ने डॉ. चौधरी के उज्जवल भविष्य की कामना की और सभी उपस्थित महानुभावों ने उन्हें उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी. इस प्रकार, यह समारोह न केवल विद्वानों को सम्मानित करने का अवसर था, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए एक साझा दृष्टिकोण बनाने का भी मंच था.
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