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बाढ़ पूर्व तैयारी के अभ्यास पर जोर, चिकित्सकों का दल गठित

हर वर्ष मानसून के समय में जिले को बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है. जिले के 7 प्रखंड सबसे अधिक बाढ़ से प्रभावित होते हैं. जिले को जलजमाव एवं बाढ़ का आंशिक रूप से सामना करना पड़ता है.

मधुबनी. हर वर्ष मानसून के समय में जिले को बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है. जिले के 7 प्रखंड सबसे अधिक बाढ़ से प्रभावित होते हैं. जिले को जलजमाव एवं बाढ़ का आंशिक रूप से सामना करना पड़ता है. बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में जानमाल के साथ लोगों को कई जलजनित बीमारियों के प्रकोप का सामना करना पड़ता है. जल जनित रोग महामारी का रूप ले लेती है. इसको लेकर सीएस डा. नरेश कुमार भीमसारिया ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिया है. जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक महामारी रोकथाम समिति गठित है. जिसमें डीडीसी, एसपी, सिविल सर्जन, आपूर्ति विभाग, जिला आपदा प्रबंधन विभाग तथा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारी सदस्य है. समिति द्वारा जिले में बाढ़ या जल-जमाव से उत्पन्न होने वाली बीमारियों के संभावित क्षेत्रों का पूर्व के अनुभव के आधार पर चिन्हित कर वहां त्वरित उपचारात्मक एवं निरोधात्मक कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए प्रचार-प्रसार के माध्यम का भी इस्तेमाल किया जाएगा.

सीएस ने बाढ़ पूर्व मुख्य तैयारी को ले अभ्यास का दिया निर्देश

बाढ़ पूर्व तैयारी के संबंध में स्वास्थ्य कर्मियों एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ मॉक एक्सरसाइज एवं मॉक ड्रिल का आयोजन नियमित अंतराल पर करने का निर्देश दिया है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारी की सहायता से क्षेत्र में पीने के पानी की सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. वहीं बड़े जलस्रोतों के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करने पर जोर दिया है. निर्देश में कहा गया है कि बाढ़ के बाद जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. डेंगू, मलेरिया, कालाजार आदि महामारी का फैलाव तेजी से होता है. इससे लोगों की एक बड़ी आबादी प्रभावित होती है. ऐसी स्थिति में जिला मलेरिया पदाधिकारी को डीडीटी छिड़काव और फॉगिंग कराने के निर्देश दिया हैं. साथ ही कहा गया है कि जिला एवं प्रखंडों के स्वच्छता निरीक्षक पेयजल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पानी के नमूनों को संग्रह करें. जिसकी जांच प्रमंडलीय प्रयोगशाला या चिकित्सा महाविद्यालय अथवा लोक स्वास्थ्य संस्था पटना में होगी.

गठित होगा चिकित्सकों का दल

सीएस ने जिला एवं प्रखंड स्तर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा दलों का गठन करने का निर्देश दिया है. इसमें मोबाइल दल भी शामिल रहेंगे. इस टीम में चिकित्सा पदाधिकारी के अलावे पैरामेडिकल स्टाफ भी होंगे. सर्पदंश की दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नवजात शिशुओं का नियमित टीकाकरण बाधित नहीं हो, इसकी व्यवस्था भी करने पर जोर दिया गया है. वहीं गर्भवती महिलाओं की पहचान पूर्व से कर डिलीवरी किट एवं मैटरनिटी हट की व्यवस्था करने का निर्देश भी दिया गया है.

अस्थाई अस्पताल व नौका औषधालय की व्यवस्था

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं स्वास्थ्य उपकेंद्र, स्कूल, पंचायत भवन में अस्थायी अस्पताल खोला जायेगा. वहां पर अस्थायी अस्पताल का संचालन तब तक होगा जब तक महामारी पर नियंत्रण नहीं हो जाता है. बाढ़ से घिरे क्षेत्र में सड़क संपर्क टूटने पर नौका औषधालय का इंतजाम करने की बात भी कही गयी है. किसी भी तरह की सूचना के लिए राज्य नियंत्रण कक्ष के टोल फ्री नंबर 104 पर संपर्क स्थापित करने के लिए प्रचार प्रसार करने और इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए निर्देशित किया गया है.

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