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एक लाख की आबादी पर 1500 टीबी के संदिग्ध मरीजों की करें जांच

हर साल भारत में लाखों लोग टीबी के शिकार होते हैं. इस बीमारी के प्रसार एवं प्रकोप से बचने और रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए टीबी की पहचान और उपचार महत्वपूर्ण है.

मधुबनी: हर साल भारत में लाखों लोग टीबी के शिकार होते हैं. इस बीमारी के प्रसार एवं प्रकोप से बचने और रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए टीबी की पहचान और उपचार महत्वपूर्ण है. कार्यक्रम को लेकर सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी यक्ष्मा के निर्देश के आलोक में जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को प्रति 1 लाख आबादी पर वर्ष 2024 -25 के लिए कम से कम 1500 लोगों की जांच करने का निर्देश दिया है. साथ ही सभी स्वास्थ्य संस्थानों के ओपीडी में आने वाले कम से कम 5 प्रतिशत यक्ष्मा के संदिग्ध रोगियों के बलगम जांच करने का निर्देश दिया है. स्वास्थ्य संस्थान में उपलब्ध ट्रूनेट या माइक्रोस्कोप मशीन जो भी उपलब्ध हो उसे जांच करने का निर्देश दिया है. वहीं वर्ष 2025 – 26 में 2000 लोगों का जांच करने का निर्देश दिया है. सिविल सर्जन ने कहा कि टीबी या क्षय रोग ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है. यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है. लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है. यह एक इलाज योग्य और साध्य रोग है. टीबी रोग हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. जब ‘पल्मोनरी टीबी से पीड़ित कोई व्यक्ति खांसता, छींकता या थूकता है तो वह टीबी के कीटाणुओं को हवा में फैला देता है. पल्मोनरी टीबी के सामान्य लक्षणों में बलगम, कई बार खून के साथ खांसी और सीने में दर्द, कमजोरी, वजन कम होना, बुखार और रात को पसीना आना शामिल है.

2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य

सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर ने कहा कि भारत सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए 2025 का वर्ष निर्धारित किया है. इसके लिए जमीनी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है. वहीं लोगों को भी समेकित रूप से जागरूकता के लिए प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रखंड स्तर पर प्रत्येक समुदाय में कार्य कर रही है. ज्यादा से ज्यादा रोगियों की खोज और उपचार हमारा संपूर्ण लक्ष्य है. इससे टीबी पर विजय पाया जा सके. टीबी पूर्ण रूप से ठीक होने वाला बीमारी है. बशर्ते मरीज नियमित रुप से दवा का सेवन करें. टीबी के रोगियों को नि:शुल्क दवा का वितरण सरकारी अस्पतालों द्वारा किया जाता है. प्रत्येक प्रखंड में स्पूटम जांच की व्यवस्था की गई है.

टीबी के लक्षण

लगातार 2 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना

खांसी के साथ खून का आना

छाती में दर्द और सांस का फूलना

वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना

शाम को बुखार का आना और ठंड लगना

रात में पसीना आना

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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