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सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में अब रात में भी रहती है महिला चिकित्सक

व्यवस्था में तब्दीली के साथ ही अब प्रसव कक्षा में रात्रि पाली में महिला चिकित्सक रहने लगी है. जिसके कारण गर्भवती महिलाओं का नार्मल डिलीवरी के साथ ही सिजेरियन प्रसव चिकित्सक की देखरेख में कराया जा रहा है.

मधुबनी. व्यवस्था में तब्दीली के साथ ही अब प्रसव कक्षा में रात्रि पाली में महिला चिकित्सक रहने लगी है. जिसके कारण गर्भवती महिलाओं का नार्मल डिलीवरी के साथ ही सिजेरियन प्रसव चिकित्सक की देखरेख में कराया जा रहा है. प्रसव कक्ष में नार्मल डिलीवरी के साथ ही सिजेरियन प्रसव में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि पर्याप्त बेड नहीं रहने के कारण नार्मल डिलीवरी की प्रसूता को 12-14 घंटे बाद ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है. प्रसव कक्ष में प्रतिदिन 20-25 गर्भवती महिलाओं का नार्मल डिलीवरी होता है. वहीं 2-3 सिजेरियन डिलीवरी कराया जा रहा है. आंकड़े पर गौर करें तो जुलाई माह में 635 महिलाओं का नार्मल डिलीवरी एवं 75 महिलाओं का सिजेरियन डिलीवरी हुआ है.

रात में रहती है चिकित्सक

सदर अस्पताल में पूर्व में ए ग्रेड नर्स के सहारे गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता था. लेकिन अब रात में महिला चिकित्सक रहने के कारण नार्मल डिलीवरी भी गायनोलॉजिस्ट की देखरेख किया जा रहा है. सदर अस्पताल में महिला चिकित्सक का दस पद स्वीकृत है. लेकिन 8 गायनोलॉजिस्ट पदस्थापित हैं. इसमें डा. रागिनी, डा. सुमन कुमार, डा. शाहिदा फारुकी, डा. सना फातमा, डा. विद्या पाल, डा. अनु , डा. नीतू व डा. भावना गुरुंग शामिल हैं. इसके अलावे प्रसव कक्ष में पदस्थापित सभी ए ग्रेड स्टाफ नर्स एनबीएसए प्रशिक्षण प्राप्त है. उद्देश्य यह है, कि प्रसव के लिए आने बाली गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव सुविधा उपलब्ध हो सके. ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सके.

सिजेरियन प्रसव में हों रही बढ़ोतरी

मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होने के कारण सिजेरियन प्रसव में भी बढ़ोतरी हुई है. प्रसव कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में अप्रैल माह में 53, मई में 58, जून में 59 वहीं जुलाई माह में 75 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन प्रसव किया गया है. जबकि 16 अगस्त तक 53 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन प्रसव हुआ.

12-14 घंटे में प्रसुताओं को कर दिया जाता डिस्चार्ज

प्रसव कक्ष में बेड की संख्या कम होने के कारण प्रसूता को 12-14 घंटे के बाद ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है. जबकि गाइड लाइन के अनुसार प्रसव के बाद प्रसूता को 24-48 घंटे तक चिकित्सक के आब्जर्वेशन में रखना अनिवार्य है. विदित हो कि प्रसव कक्ष में प्रसव से पूर्व गर्भवती महिलाओं के लिए 9 एवं प्रसव के बाद रिकवरी रूम में 9 बेड है. जबकि प्रसव कक्ष में प्रतिदिन 20-25 गर्भवती महिलाओं का नार्मल डिलीवरी होता है. डिस्चार्ज करने से पूर्व प्रसव कक्ष की परिचारिका द्वारा प्रसूता के परिजनों से डिस्चार्ज स्लीप पर यह लिखवा लिया जाता है कि अपनी स्वेच्छा से प्रसूता को घर ले जा रहा हूं. विदित हो कि प्रसव कक्ष को लक्ष्य प्रमाणीकरण का सर्टिफिकेट प्राप्त है. इस संबंध में सिविल सर्जन डाॅ नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा है कि सदर अस्पताल परिसर में 23 करोड़ की लागत से 100 बेड के एमसीएच का निर्माण कार्य शुरू है. इसके निर्माण के बाद एक ही छत के नीचे मातृ एवं शिशु ईकाई स्थापित होगा. इसके बाद गर्भवती महिलाओं को सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की सुविधा उपलब्ध होगी. वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों में बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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