साल दर साल मछली उत्पादन में इजाफा तो आयात में हो रही कमी

मछली उत्पादन में जिला तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 9, 2024 8:46 PM

जिले में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 91.78 हजार मीट्रिक टन मछली का हुआ उत्पादन

मधुबनी . मछली उत्पादन में जिला तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है. एक ओर जहां साल दर साल जिला में मछली उत्पादन में बढ़ोतरी हो रहा है वहीं बाहर से आने वाली मछली में कमी देखी जा रही है. आंकड़े काफी खुशी देने वाली है.

वित्तीय वर्ष 2021-22 में जिले में मछली उत्पादन 81.78 हजार मीट्रिक टन, वित्तीय वर्ष 2022-23 में 88.96 हजार मीट्रिक टन, वित्तीय वर्ष 2023-24 में 91.78 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है. वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 में सितंबर महीने तक 47.45 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन किया जा चुका है. इस तरह से देखा जाए तो बाहर से आने वाली मछली पर से निर्भरता भी कम हुई है.

एक ओर जहां उत्पादन की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर मछली के आयात में काफी गिरावट आयी है. आयातीत मछली पर नजर डालें तो वित्तीय वर्ष 2021-22 में 0.49 हजार मीट्रिक टन, 2022-23 में 0.432 हजार मीट्रिक टन, 2024-25 में 0.58 हजार मीट्रिक टन एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 में सितंबर महीने तक 0.32 हजार मीट्रिक टन मछली का आयात किया गया है. जो पिछले वर्षों की तुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव है.

मछली पालन के लिये पारंपरिक और आधुनिक दोनों तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. कम जमीन वाले किसान और ग्रामीण लोग कम जगह में ही हेचरी लगाकर मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. वहीं कुछ किसान खेतों के बीच तालाब बनवाकर मछली पालन कर रहे हैं. इसके लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सब्सिडी की सुविधा भी दी जा रही है. इसी कड़ी में सूबे की सरकार भी किसानों और पशुपालकों को बढ़-चढ़कर प्रोत्साहन दे रही है. जल कृषि यानी मछली पालन को बढ़ाना देने के लिये तालाब निर्माण की कुल इकाई लागत पर 70 फीसदी तक सब्सिडी की सुविधा प्रदान कर रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला मत्स्य पदाधिकारी अंजनी कुमार ने कहा कि जिले में तकरीबन 11 हजार सरकारी एवं निजी तालाब है. इनमें सरकारी तालाब के 4164 हेक्टेयर जल क्षेत्र एवं निजी तालाब के 36.93 हेक्टेयर जल क्षेत्र में मछली का उत्पादन किसान करते हैं. वहीं 6 हजार हेक्टेयर आद्रजल भूमि है. मछली उत्पादन के लिए कई योजनाएं भी धरातल पर उतारी गई है. सरकार अनुदान भी दे रही है. जिसका असर साफ तौर पर दिख रहा है.

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