मधुबनी. सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद फालोअप कर फीडबैक लिया जा रहा है. मरीजों से मिले फीडबैक से प्रतिदिन शाम में सिविल सर्जन को अवगत कराया जा रहा है. मरीजों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर सिविल सर्जन आवश्यक निर्देश दे रहे हैं. विदित हो कि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सुविधा के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस योजना की शुरुआत एक साल पूर्व की गई थी. इसके लिए जीएनएम पूनम कुमारी की प्रतिनियुक्ति की गई. जीएनएम से मिली जानकारी अनुसार पिछले एक साल में 20 हजार मरीजों का फालोअप किया गया है. जीएनएम ने कहा कि सदर अस्पताल के एसएनसीयू, फीमेल वार्ड, मेल मेडिकल वार्ड, मेल सर्जिकल वार्ड, चाइल्ड वार्ड, आई वार्ड एवं लेवर रुम से डिस्चार्ज मरीजों का फालोअप के साथ उन्हें आवश्यक जानकारी दी जाती है. सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा है कि अस्पताल में एसएनसीयू, स्त्री एवं प्रसूति रोग, पुरुष वार्ड, महिला वार्ड, ऑर्थो वार्ड सहित अन्य वार्डो से डिस्चार्ज होने वाले सभी मरीजों का सदर अस्पताल द्वारा फीडबैक लिया जा रहा है. इसके लिए सदर अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक के कार्यालय के समीप एक कक्ष बनाया गया है. इसमें जीएनएम पूनम कुमारी को प्रतिनियुक्त किया गया है. इस अभियान की शुरुआत गत वर्ष किया गया था. बीते एक वर्ष में लगभग 20 हजार से अधिक मरीजों का फीड बैक जीएनएम द्वारा ली गयी. प्रतिदिन 50 से 60 मरीजों का फीडबैक लिया जा रहा है. सीएस ने कहा कि स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण के तहत इस योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के जरिए खास तौर से उन क्षेत्रों और जोखिम वाले समूहों को लाभ मिलेगा, जिसके पास स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच नहीं है. इसके अलावा स्वास्थ्य तंत्र द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा. यह कार्यक्रम स्वास्थ्य सुविधाओं के गुणवत्ता प्रमाणन को सक्षम करेगा. सीएस ने कहा कि प्रतिनियुक्त जीएनएम द्वारा मरीजों से फीडबैक सोमवार से शनिवार तक लिया जाता है. सुबह 10 बजे के बाद मरीजों का फॉलोअप शुरू किया जाता है. डिस्चार्ज होने वाले सौ फीसदी मरीजों का फोन के माध्यम से फॉलो अप किया जा रहा है. अभी एक जीएनएम की प्रतिनियुक्ति की गयी है. दो और कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. मरीजों को किए जाने वाले फॉलोअप के दौरान अगर किसी मरीजों के द्वारा समस्या की जानकारी दी जाती है तो वैसे मरीजों को सदर अस्पताल बुलाकर पुनः चिकित्सीय परामर्श दिया जा रहा है. 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्ग तथा प्रसव के बाद 42 दिनों तक गर्भवती महिलाओं को किसी तरह की समस्या होने पर अस्पताल आने तथा अस्पताल से जाने के लिए नि:शुल्क एंबुलेंस उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक मरीज पूर्णतः संतुष्ट नहीं होगा तब तक प्राथमिकता के आधार पर नियमित रूप से दूरभाष के माध्यम से फॉलोअप किया जाएगा. सिविल सर्जन ने कहा कि इस योजना के तहत गर्भवती माताओं को तीसरे माह से ही निगरानी शुरू कर दी जाती है. इसके साथ ही सातवें, आठवें एवं नौवें माह में एएनसी के दौरान चिकित्सीय परामर्श के साथ-साथ फोन के माध्यम से गर्भवती को आवश्यकतानुसार परामर्श दिया जा रहा है. जिसमें रहन-सहन, साफ-सफाई, खान-पान, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी जा रही है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को सदर अस्पताल में ही प्रसव कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इससे ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर पर विराम लगेगा. इसके साथ ही जच्चा-बच्चा दोनों को अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
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