प्रसव कक्ष से लेकर भर्ती वार्ड तक कचरा ही कचरा, लाखों का हो रहा भुगतान

सदर अस्पताल का पूरा परिसर इन दिनों कचरा से पटा है. ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीज की कौन कहे, स्वास्थ्य व्यक्ति व चिकित्सक भी कब बीमार हो जाएं कहा नहीं जा सकता.

By Prabhat Khabar News Desk | August 22, 2024 10:03 PM

मधुबनी . सदर अस्पताल का पूरा परिसर इन दिनों कचरा से पटा है. ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीज की कौन कहे, स्वास्थ्य व्यक्ति व चिकित्सक भी कब बीमार हो जाएं कहा नहीं जा सकता. ऐसे में विभाग की साफ-सफाई के तहत स्वच्छ वातावरण में मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सेवा महज कागजों में ही सिमट कर रह गया है. बता दें कि सदर अस्पताल में जैव अवशिष्ट प्रबंधन इकाई का निर्माण किया गया है. इसमें तीन कमरे हैं, जिसमें लाल, हरा एवं पीला कमरा है. इसमें अलग-अलग कचरे को अलग-अलग रंगों के हिसाब से रखने का नियम है. इसके बाद भी कचरे को इन कमरों में नहीं रखकर खुले में ही रखा जा रहा है. हैरान करने वाली बात यह है कि इसके बगल में ही अस्पताल प्रबंधक का कार्यालय है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन इन सबसे बेखबर हो, प्रतिमाह साफ-सफाई पर हजारों रुपए खर्च कर रहा है. जानकारी के अनुसार अस्पताल के सिर्फ सफाई व मेडिकल वेस्ट के उठाव मद में लगभग 2 लाख रुपए का भुगतान किया जाता है.

डंपिंग यार्ड में तब्दील परिसर

सदर अस्पताल के आईसीयू के समीप मरीजों के लिए बने रैन बसेरा को जैव अपशिष्ट प्रबंधन इकाई के रुप में तब्दील कर दिया गया. ताकि कचरे को रंगों के हिसाब से उन कमरों में रखा जाए, ताकि आने जाने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो. विदित हो कि कचरे के डंपिंग यार्ड में प्रसव कक्ष के मेडिकल वेस्ट सहित अस्पताल से निकलने वाले कचरे को इकट्ठा किया जा रहा है. इससे दुर्गंध इतनी ज्यादा होती है, कि यहां रहना मुश्किल हो जाता है.

दर्जन भर विभाग हैं कचरा डंप के समीप

बता दें कि कचरे के बगल में ही जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय, विकलांगता कार्यालय, लेखापाल कार्यालय, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन सहित अस्पताल प्रबंधक का कार्यालय है. जन्म प्रमाण पत्र कार्यालय व विकलांगता कार्यालय में प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में लोग अपना प्रमाण पत्र बनवाने आते हैं. वही लेखापाल कार्यालय में भी दर्जनों संख्या में मरीज व उनके परिजन विभिन्न योजनाओं के कागजात जमा करने के लिए आते हैं. इतना ही नहीं पुराने आईसीयू भवन में एएनएम व अन्य कर्मियों का मासिक प्रशिक्षण भी होता है. विदित हो कि प्रतिदिन 100 से ज्यादा मरीज अल्ट्रासाउंड के लिए आते हैं. वही सिटी स्कैन में भी प्रतिदिन दर्जनों मरीज अपना जांच करवाने के लिए आते हैं. लेकिन इन सबसे बेपरवाह प्रबंधन नहीं कर रहा कचरे का उठाव का प्रयास बिहार स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मेडिकल वेस्टेज के लिए कई दिशा निर्देश दिया गया है. वही स्वच्छता मिशन को लेकर केंद्र से राज्य तक कई अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन इनको देखकर यही लगता है कि यह सभी अभियान केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया है. सरकार के स्वच्छता मिशन अभियान को लेकर अस्पताल प्रबंधन लापरवाह है. विदित हो कि सदर अस्पताल में मेडिकल वेस्ट के उठाव के लिए प्रतिदिन गाड़ी भेज कर मेडिकल वेस्ट का उठाव किया जाता है. जिसमें एजेंसी को प्रति माह 60 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है. इसके अलावा साफ सफाई मद में प्रतिमाह एजेंसी को लगभग 1.50 लाख रुपए से अधिक का भुगतान किया जाता है. ऐसे में सिस्टम को लागू करने में जब जिला अस्पताल की स्थिति ऐसी है, तो अन्य संस्थानों सहित निजी संस्थानों की स्थिति का सहज ही आकलन किया जा सकता है.

प्रतिदिन 25 से 30 होता है प्रसव:

सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में प्रतिदिन 25 से 30 गर्भवती महिलाओं का प्रसव होता है. इस दौरान प्रसव कक्ष से निकलने वाले कचरे आईसीयू के समीप बने जैव अवशिष्ट प्रबंधन इकाई के समीप ही जमा कर दिया जाता है. जबकि डायलिसिस सेंटर में भी गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज डायलिसिस करवाने के लिए यहां आते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गत दिनों डीडीसी के साथ हुई बैठक में डीडीसी ने भी सदर अस्पताल की लचर साफ सफाई पर नाराजगी व्यक्त करते हुए साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने का निर्देश अस्पताल प्रबंधन को दिया था. इस संबंध में प्रभारी अधीक्षक डा. राजीव रंजन ने कहा कि साफ सफाई की लचर व्यवस्था से इंकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा साफ सफाई की जिम्मेदारी जीविका को दी गई है. इसके कारण वर्तमान एजेंसी द्वारा साफ सफाई में कोताही बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि जल्द ही सदर अस्पताल में जीविका द्वारा साफ-सफाई की जाएगी.

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