मधुबनी . बाजार में बीमारी के नाम पर लोगों से कई प्रकार से राशि का दोहन कर लोगों का शोषण हो रहा है. जेनेरिक की जगह ब्रांडेड दवा के नाम पर हजारों हजार रुपए की लूट मची है. आम लोग भी जाने बिना महंगी दवा के पीछे भाग रहे हैं. चिकित्सक भी मरीजों को सही बात नहीं बताते. आश्चर्य की बात यह है कि जो चिकित्सक सरकारी अस्पताल में जेनेरिक दवा लिखते हैं, वही अपने निजी क्लीनिक पर उसी मरीज को ब्रांडेड कंपनी की महंगी दवा की सलाह देते हैं. जानकारों की माने तो यह सारा खेल कमीशन का है. वहीं जन औषधि केंद्र का संचालन सुचारू रूप से नहीं होने के कारण मरीज शोषण का शिकार हो रहे हैं.
पीस रहे मरीज व परिजन
विदित हो कि ब्रांडेड कंपनी की दवा से जेनेरिक दवा 5 से 10 गुना सस्ती दर पर मिलती है. ऐसा नहीं है कि दवा दुकान में जेनेरिक दवा नहीं होती है, लेकिन दवा दुकानदार मरीजों को ब्रांडेड कंपनी के दवाओं का फायदा बताकर उन्हें ब्रांडेड दवा लेने को मजबूर कर देते हैं. सरकार द्वारा वर्तमान में जिले में 8 जन औषधि केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जेनेरिक दवा लिखने का निर्देश तो जारी किया गया है, लेकिन जेनेरिक दवा के लिए आज तक किसी भी मेडिकल स्टोर को अधिकृत नहीं किया गया है. जिस कारण सदर अस्पताल के स्टोर में उपलब्ध जेनेरिक दवा के अलावा अगर चिकित्सक द्वारा मरीज के पर्ची पर जेनेरिक दवा लिखा जाता है, तो वह मरीज को बाहर में नहीं मिल पाता है. क्योंकि जेनेरिक दवा एवं ब्रांडेड कंपनियों की दवा के मूल्यों में 5 से 10 गुना का अंतर रहता है. जिस कारण व्यवसायिक दृष्टिकोण से व्यवसायी जेनेरिक दवा नहीं रखते हैं. सूत्रों की माने तो कुछ मेडिकल स्टोर्स में जेनेरिक दवा रहने के बाद भी दुकानदार उसे ऊंची कीमत पर ही बेचते हैं. अस्पताल के चिकित्सकों को भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहने वाले जेनेरिक दवा के बदले मरीजों को अपने मन मुताबिक कंपनी की दवा खरीदने की सलाह दी जाती है.
सुचारू रूप से नहीं चलता जन औषधि केंद्र
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