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बीमार होने पर बिना देर किये निकट के सरकारी अस्पताल में जाएं

बारिश होने के बाद भी गर्मी काफी बढ़ने लगी है. तापमान लगभग 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. गर्मी बढ़ते ही मौसमी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है.

मधुबनी. बारिश होने के बाद भी गर्मी काफी बढ़ने लगी है. तापमान लगभग 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. गर्मी बढ़ते ही मौसमी बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि गर्मी से थकावट, लू, पानी की कमी, फूड प्वाइजनिंग आम बीमारियां हैं. इसके अलावा गर्मी में हीट-स्ट्रोक होने की संभावना अधिक रहती है. इस दौरान शरीर का तापमान बहुत ज्यादा होता है. त्वचा रूखी और गर्म हो जाता है. शरीर में पानी की कमी, कन्फ्यूजन, तेज या कमजोर नब्ज, छोटी-धीमी सांस, बेहोशी तक आ जाने की नौबत आ जाती है. हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए दिन के सबसे ज्यादा गर्मी वाले समय में घर से बाहर नहीं निकलें. अत्यधिक मात्रा में पानी और जूस पीएं. ताकि शरीर में पानी की कमी न हो. ढीले-ढाले और हल्के रंग के कपड़े पहनें. उन्होंने कहा कि किसी तरह की शारीरिक समस्या होने पर निकट के सरकारी अस्पताल में संपर्क करें. अस्पताल में 24 घंटे चिकित्सक व कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है.

दूषित भोजन से करें परहेज

जिला वैक्टर बोर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी डा. डीएस सिंह ने कहा कि फूड प्वाइजनिंग गर्मियों में आम तौर पर हो जाती है. गर्मियों में अगर खाना साफ-सुथरे माहौल में नहीं बनाया जाए तो उसके दूषित होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही पीने का पानी भी दूषित हो सकता है. अत्यधिक तापमान की वजह से खाने में बैक्टीरिया बहुत तेजी से पनपते हैं. इससे फूड प्वाइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि सड़क किनारे बिकने वाले खाने-पीने का सामान भी फूड प्वाइजनिंग का कारण हो सकता है. फूड प्वाइजनिंग से बचने के लिए बाहर जाते वक्त हमेशा पीने का पानी घर से लेकर चलें. बाहर खुले में बिक रहे कटे हुए फल खाने से परहेज करें. गर्मी में शरीर में पानी की कमी से बचने और शरीर में पानी की मात्रा को पर्याप्त बनाए रखने के लिए अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीयें. खास तौर पर खेलकूद की गतिविधियों के दौरान इस बात का ध्यान रखें. प्यास लगने का इंतजार नहीं करें. हमेशा घर में नींबू पानी और ओआरएस का घोल आस-पास रखें.

बच्चों पर रखें विशेष नजर

सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. विवेकानंद पॉल ने कहा है कि वर्तमान समय में मौसम में बदलाव के कारण रोगियों की संख्या बढ़ी है. इसमें बच्चे व बुजुर्ग भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों व बुजुर्गों के पोषण पर विशेष ध्यान रखना चाहिए. अत्यधिक जरूरत पड़ने पर ही बाहर निकलें. छाता का प्रयोग करें. हमेशा पूरे शरीर को ढंकने वाला कपड़ा पहनें. बाहरी दूषित खान-पान से परहेज करें. पानी अधिक पीएं. घर का खाना खाएं. बासी खाना नहीं खाएं. होटल व रेस्टोरेंट के खाने से बचें. इस तरह अन्य सावधानी बरत कर हम गर्मी में होने वाली आम बीमारियों से बच सकते हैं.

सावधानी व सतर्कता से बीमारियों से बचाव संभव

सिविल सर्जन ने कहा कि थोड़ी सी सावधानी बरत कर हम अपने साथ अपने परिवार वालों को इन बीमारियों के कहर से बचा सकते हैं. इसलिये जरूरी है कि बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें. चाय-कॉफी, कैफिन युक्त पदार्थ, रिफाइंड व प्रोसेस्ड फूड अधिक तेल मसाला व गर्म तासीर वाले भोजन से अभी दूरी बनाये रखना जरूरी है.

अधिक से अधिक शुद्ध पेयजल का करें उपयोग

सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डा. संतोष कुमार ने कहा कि लोगों को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इस तरह के मौसम में लोगों को अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए. संतरे, नींबू, अनानास, गन्ना के जूस का अधिक से अधिक सेवन करें. इसके अलावे हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन करना भी कई तरह की बीमारियों से बचाता है. वहीं नियमित रूप से योगाभ्यास भी जरूरी होता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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