महंगी हुईं हरी सब्जियां, गृहणी परेशान

हरी सब्जियों की कीमत आसमान छू रही हैं. इससे आम लोगों की थाली से हरी सब्जियां गायब हो गयी हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 19, 2024 10:17 PM

मधुबनी. हरी सब्जियों की कीमत आसमान छू रही हैं. इससे आम लोगों की थाली से हरी सब्जियां गायब हो गयी हैं. बढ़ी कीमतों से आम लोगों का घरेलू बजट गड़बड़ा गया है. टमाटर की बढ़ती कीमतों ने रसोई को स्वादहीन बना दिया है. दूसरी ओर दाल, सब्जी से लेकर सलाद में प्रयोग की जाने वाली हरी मिर्च भी तीखी हो गई है. इसके अलावा आलू प्याज की कीमतों में हर दिन इजाफा हो रहा है. ऐसे में सब्जियों के दामों में उछाल से आम लोग बेहाल हैं. खाने की थाली में हरी सब्जियां, दाल एवं सलाद में प्रयुक्त होने वाला टमाटर की बढ़ती कीमतों ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है. बढ़ती हुई महंगाई के कारण बाजारों में भी मंदी छाई हुई है. एक सप्ताह पूर्व तक 50 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर 120 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. यही हाल हरी मिर्च का भी है. 40-50 रुपए प्रति किलो बिकने वाली हरी मिर्च अपनी कीमत को 160 रुपये के पार पहुंच गया है. पहले सब्जी की खरीदारी करने पर सब्जी विक्रेता द्वारा हरी मिर्च मुफ्त में ही डाल दिया जाता था. लेकिन अब 10 रुपये से कम की हरी मिर्च नहीं मिलती है. यही हाल आलू और प्याज की भी है. 15-20 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने बाला आलू 38 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जबकि 20-25 रुपये की दर से बिकने वाली प्याज की कीमत 40 रुपये प्रति किलो हो गया है. इसके कारण थाली से टमाटर और हरी मिर्च कमोबेश गायब हो चुकी है. गिलेशन मंडी के सब्जी विक्रेता अशोक साह ने कहा कि पहले ग्राहक एक से दो किलो टमाटर की खरीदारी करते थे. अब वही लोग ढाई सौ ग्राम से आधा किलो टमाटर से अपना काम चला रहे हैं. टमाटर सहित सभी सब्जियों के दाम महंगा होने के कारण लोगों की जेबों पर भी खासा प्रभाव डाल रहा है. एक सप्ताह पूर्व तक 20 से 30 रुपये बिकने वाला बैगन 80 रुपये किलो बिक रहा है. परवल 80 रुपये किलो, करेला 80 रुपये किलो बिक रही है. घिया, झिमनी, भिंडी एक सप्ताह पूर्व तक 10 रुपये किलो बिक रहा था, जो बढ़कर 40 रुपये किलो हो गया. गिलेशन बाजार में सब्जी खरीदती गृहणी माला देवी ने कहा कि सब्जी की कीमत इतनी अधिक हो गयी है कि समझ ही नहीं आ रहा है कि कौन सी सब्जी खरीदूं. उन्होंने कहा कि आज से 10 दिन पहले तक सौ रुपया में झोला भर सब्जी हो जाता था वहीं आज सौ रुपया में एक तरह की सब्जी भी नहीं हो पाती है.

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