Madhubani News. मधुबनी. केरल के बाद दिल्ली में मंकी पॉक्स के मरीज चिन्हित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है. इस संबंध में राज्य सर्वेक्षण पदाधिकारी आईडीएसपी डाॅ रणजीत कुमार ने मंकी पॉक्स से बचाव एवं जागरूकता के लिए हेल्थ एडवाइजरी जारी कर सिविल सर्जन, एसीएमओ एवं जिला सर्वेक्षण इकाई आईडीएसपी को आवश्यक निर्देश दिया है. वहीं इस संबंध में मंगलवार को एसीएस प्रत्यय अमृत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है. विदित हो कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने इस बीमारी को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न घोषित किया है. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग मंकी पॉक्स को लेकर फैली भ्रांति व अफवाहों पर लोगों को ध्यान नहीं देने की अपील की है. राज्य सर्वेक्षण पदाधिकारी द्वारा जारी हेल्थ एडवाइजरी में पटना एवं गया हवाई अड्डे पर आनेवाले यात्रियों पर विशेष नजर रखने का निर्देश दिया है. साथ ही इन जिलों में 10-10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाने का निर्देश दिया है. एयरपोर्ट पर संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया है. वर्तमान में राज्य में मंकी पॉक्स का कोई मरीज नहीं पाया गया है. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को मंकी पॉक्स के संबंध में जागरूक करने का निर्णय लिया है. इसका उद्देश्य इस बीमारी से ग्रसित मरीज के पाए जाते पर लक्षणों की तुरंत पहचान कर चिकित्सकों से संपर्क कर अपना इलाज शुरू करा सकें. संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से मानव में यह बीमारी फैलता है. इस बीमारी का लक्षण रैश, बुखार एवं लसिका ग्रंथि में सूजन होना है. कैसे फैलता है मंकी पॉक्स सीडीसी की मानें तो मंकी पॉक्स से पीड़ित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने, संक्रमित जानवर के काटने छूने के कारण फैलता है. खासकर, चूहों, गिलहरियों और बंदरों द्वारा यह अधिक फैलता है. वहीं मंकी पॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के आसपास रखी चीजों को छूने से भी मंकी पॉक्स का खतरा रहता है. मरीज को ठीक होने में लग सकता है 14 से 21 दिन मंकी पॉक्स एक संक्रामक रोग है जो चिकन पॉक्स के समान ही होता है. जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है. संक्रमण के छह से 13 दिनों के बीच में इस रोग के लक्षण दिखने लगता है. संक्रमित होने के बाद मरीज को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में जकड़न, अत्यधिक कमजोरी होती है. बुखार के साथ त्वचा पर रैशेज, फोड़े आदि होने लगता है. इसकी शुरुआत चेहरे से होती है, जिसके बाद यह शरीर के अन्य हिस्सों की त्वचा पर फैल जाता है. रैशेज होने पर इसमें खुजली हो सकता है,और अंत में यह फफोला बनने के बाद सूख कर पपड़ी जैसा हो जाता है. इस बीमारी में मरीज को ठीक होने में लगभग 14 से 21 दिन लग सकता है. साथ ही, कोरोना की तरह इस बीमारी में भी संक्रमण को दूर रखने के लिए सतर्कता और सावधानी का पालन करना पड़ेगा. मंकी पॉक्स को लेकर विभाग अलर्ट सभी संभावनाओं के मद्देनजर जिले में स्वास्थ्य विभाग हेल्थ एडवाइजरी जारी किया है. मंकी पॉक्स के संक्रमण को देखते हुए जिले में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है. इस बीमारी की पुष्टि मरीज में होती है, तो स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल (एसओपी) का पालन करते हुए मरीज का इलाज किया जाएगा. साथ ही, लोगों को साफ-सफाई बरतने के सतर्क रहने की आवश्यकता है. ताकि, जिले में इस बीमारी के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. मंकी पॉक्स के लक्षण बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजी हुई लसिका ग्रंथियां, ठंड लगना, थकावट, त्वचा का फटना, शरीर में रैशेज, गला खराब होना, बार-बार खांसी आना, सुस्ती आना एवं खुजली की समस्या. मंकी पॉक्स से बचाव इसके लिए सबसे पहले सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन करें. अगर मंकी पॉक्स से पीड़ित हैं, तो चेचक का टीका यानी वैक्सीन जरूर लगवाएं. संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं. मंकी पॉक्स के लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद हाथों को साबुन और साफ पानी से धोएं. इसके अलावा, सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूर करें. अपने साथ सैनिटाइजर जरूर रखें. घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें.
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