इंसेफलाइटिस को ले स्वास्थ्य विभाग हुआ अलर्ट
इंसेफलाइटिस बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है. इस बीमारी से निपटने के लिए सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसरिया ने सदर अस्पताल के अधीक्षक सहित सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी को सतर्क रहने का निर्देश दिया है.
एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम को बोलचाल की भाषा में चमकी बुखार कहते हैं. इस संक्रमण से ग्रस्त रोगी का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क व शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है. आम भाषा में इसी ऐठन को चमकी कहा जाता है. इंसेफलाइटिस मस्तिष्क से जुड़ी एक गंभीर समस्या है. मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं, जिसकी वजह से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं. लेकिन जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है तो उस स्थिति को एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम कहा जाता है. यह एक संक्रामक बीमारी है. इस बीमारी के वायरस शरीर में पहुंचते ही खून में शामिल होकर प्रजनन शुरू कर देते हैं. शरीर में इस वायरस की संख्या बढ़ने पर ये खून के साथ मिलकर व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन पैदा कर देते हैं. जिसकी वजह से शरीर का ””””””””सेंट्रल नर्वस सिस्टम”””””””” खराब हो जाता है. सिविल सर्जन ने कहा है कि लक्षण के अनुसार इस बीमारी का उपचार की जाती है. बुखार आने पर बुखार की दवा एवं चमकी आने उसे रोकने की दवा व डिहाइड्रेशन के लिए आइबी फ्लूइड चलाया जाता है. डॉ. डीके झा ने कहा कि तेज बुखार के साथ चमकी आना दिमागी बुखार का लक्षण है. चमकी के कारण मरीज काफी सुस्त हो जाता है. इसके कारण दिमाग पर काफी असर पड़ता है, इसके कारण इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है. उन्होंने कहा कि एसएनसीयू में चमकी की रोकथाम के लिए सभी आवश्यक दवा उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि बच्चों को तेज बुखार आने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बुखार आने पर बच्चों को स्वयं व दुकानदार से भी पूछ कर दवा नहीं देनी चाहिए. इस बीमारी का तत्काल इलाज ही इसकी सुरक्षा है. दिमागी बुखार एबीएन वायरस के कारण फैलता है. इसका मुख्य कारण कुपोषण व रात में बिना खाकर रहने वाले बच्चों में यह ज्यादा होता है. बच्चों को तेज बुखार आने के साथ चमकी बीमारी होती है. साथ ही डिहाइड्रेशन व उल्टी भी होती है. उन्होंने बताया कि बच्चों को पेड़ से गिरे हुए कोई भी फल नहीं खाना चाहिए. इससे वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक होती है. उन्होंने कहा कि तेज बुखार के साथ चमकी आती है. जितना तेज चमकी होता है मरीज का दिमाग उतनी जल्दी डैमेज होता है जिसके कारण मरीज की मृत्यु हो जाती है.
अप्रैल से जुलाई महीनों तक होते हैं ज्यादातर मामले
सिविल सर्जन ने कहा है कि गर्मी में बच्चों को अधिक सावधानी बरतना आवश्यक है. कारण इस समय में एक्युटी इंसेफलाइटिस एवं जैपनीज इंसेफलाइटिस बुखार के साथ चमकी होने की संभावना बनी रहती है. सीएस ने कहा कि अप्रैल से जुलाई के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना अधिक होती है. उन्होंने कहा कि बच्चों में चमकी के लक्षण दिखाई दे तो बिना विलंब किए नजदीकी अस्पताल ले जाएं. अस्पताल से दूरी होने पर सरकारी या निजी एम्बुलेंस लेकर पहुंचे. इसका भाड़ा संबंधित अस्पताल द्वारा दिया जाएगा.