एनेस्थेटिक की कमी का दंश झेल रहा सदर अस्पताल
सदर अस्पताल इन दिनों एनेस्थेटिक की कमी दंश झेल रहा है. जिसके कारण सी सेक्शन में काफी गिरावट आयी है. विदित हो कि सदर अस्पताल में 8 एनेस्थेटिक का पद स्वीकृत है. जिसके विरुद्ध महज 1 एनेस्थेटिक संविदा पर पदस्थापित हैं.
मधुबनी. सदर अस्पताल इन दिनों एनेस्थेटिक की कमी दंश झेल रहा है. जिसके कारण सी सेक्शन में काफी गिरावट आयी है. विदित हो कि सदर अस्पताल में 8 एनेस्थेटिक का पद स्वीकृत है. जिसके विरुद्ध महज 1 एनेस्थेटिक संविदा पर पदस्थापित हैं. हालांकि सदर अस्पताल में पदस्थापित दो चिकित्सा पदाधिकारी जिन्होंने एमएससी एनेस्थीसिया का कोर्स किया है उनसे एनेस्थेटिक का कार्य लिया जा रहा है. ऐसे में कई मरीजों को सिजेरियन प्रसव के लिए डीएमसीएच रेफर करने की मजबूरी होती है. पूर्व में प्रतिमाह 70-80 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन प्रसव होता था, उसकी संख्या घटकर 50-60 हो गया है. जिसके कारण अधिकांश सिजेरियन गर्भवती को स्त्री एवं प्रसूति विभाग द्वारा डीएमसीएच रेफर किया जाता है. विडंबना यह है कि एनेस्थेटिक नहीं होने की जानकारी बिचौलियों को भी है. ऐसे में बिचौलिए प्रसव कक्ष से रेफर मरीजों को बहला फुसलाकर निजी नर्सिंग होम में ले जाते हैं. सूत्रों की माने तो इन बिचौलियों में कई आशा कार्यकर्ता भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है. एक स्टाफ नर्स ने बताया कि रेफर गर्भवती महिलाओं को काफी समझा बुझाकर डीएमसीएच भेजा जाता है. इससे पूर्व वह बिचौलियों के चंगुल में फंस कर निजी नर्सिंग होम में पहुंच जाती है. जहां उनका आर्थिक दोहन होता है. अस्पताल प्रबंधन इन बिचौलियों पर नकेल कसने में नकारा साबित हो रहा है. एक ही एनेस्थेटिक पदस्थापित सदर अस्पताल में एनेस्थेटिक का 8 पद स्वीकृत है. लेकिन एक एनेस्थेटिक पदस्थापित हैं. सदर अस्पताल से मिली जानकारी अनुसार वर्तमान में सदर अस्पताल में दो चिकित्सा पदाधिकारी जो एनेस्थीसिया का कोर्स किये हुएं हैं उनसे एनेस्थेटिक का भी कार्य लिया जा रहा है. विदित हो कि पूर्व में एनेस्थेटिक चिकित्सक को अस्पताल प्रबंधन द्वारा हायर किया जाता था, जिसे प्रति ऑपरेशन 2 हजार का भुगतान किया जाता था. ताकि सिजेरियन प्रसव के मरीज का सदर अस्पताल में ही इलाज किया जा सके. लेकिन वर्तमान में अस्पताल प्रबंधन द्वारा यह भी नहीं किया जा रहा है. विदित हो कि रोस्टर के अनुसार सदर अस्पताल में प्रत्येक चिकित्सकों को 2 या 3 दिन ही सप्ताह में ड्यूटी लगाई जाती है ऐसे में इलाज के लिए आने बाले मरीजों को सदर अस्पताल में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद ने कहा कि एनेस्थेटिक की कमी से इनकार नहीं किया जा सकता है. फिर भी उपलब्ध संसाधनों से मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एनेस्थेटिक चिकित्सकों की पदस्थापना के लिए वरीय पदाधिकारी को पत्र लिखा गया है.
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