मधुबनी. जिले में कुपोषण दूर करने के लिए आइसीडीएस द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. विभाग ने कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए एक नई गाइडलाइन जारी किया है. गाइडलाइन के तहत महीने के प्रथम सप्ताह में आंगनबाड़ी केंद्र के पोषक क्षेत्र के शून्य से छह 6 वर्ष तक के बच्चों का वृद्धि निगरानी किया जाना है. विदित हो कि जिलेभर में आंगनबाड़ी केंद्रों पर 4 लाख 2 हजार 855 बच्चे सर्वे रजिस्टर में पंजीकृत हैं. इनमें से 3 लाख 21 हजार 153 बच्चों की वृद्धि निगरानी की गई है. सभी आंगनबाड़ी केंद्र पर वीएचएसएनडी के पूर्व शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों की वृद्धि की निगरानी की जानी है. ताकि कुपोषित बच्चों में कुपोषण को समय पर दूर करने की योजना से लाभान्वित किया जा सके. साथ ही जरूरी सलाह दी जाए.
आंगनबाड़ी केंद्र पर वजन सप्ताह का हुआ आयोजन
आंगनबाड़ी केंद्र पर महीने के प्रथम सप्ताह में वजन सप्ताह का आयोजन कर पोषण ट्रैकर सर्वे रजिस्टर में दर्ज बच्चों की वृद्धि माप की गई. बीएचएसएनडी के दिन चिन्हित गंभीर कुपोषित बच्चों का पोषण के साथ चिकित्सा भी जरूरी है. अतिकुपोषित बच्चों को पोषण के साथ उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र रेफर किया जाता है.
मापित आंकड़े पोषण ट्रैकर पर इंट्री करना है जरूरी
आंगनबाड़ी केंद्र की सेविकाओं द्वारा पोषक क्षेत्र के सभी शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों का नाम पोषण ट्रैकर के सर्वे रजिस्टर में दर्ज कर वृद्धि निगरानी की गई. जिले भर में 3 लाख 21 हजार 153 बच्चों की वृद्धि निगरानी की गई है. जबकि 4 लाख 2 हजार 855 बच्चे का नाम सर्वे रजिस्टर में दर्ज किया गया है. ताकि कोई भी बच्चा वृद्धि निगरानी प्रक्रिया से वंचित नहीं रहे. सेविकाओं को सभी बच्चों के परिवार को कुपोषित, अति कुपोषित और कम वजन वाले बच्चों की सूचना देना है. आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषण निगरानी सप्ताह के लिए जरूरी उपकरण भी उपलब्ध कराये गये है. जैसे मां और बच्चों के लिए डिजिटल वजन मशीन, इन्फेटोमीटर, स्टेडियोमीटर एवं बेबी वजन मशीन दी गई है. इसकी पूर्व में जांच लेनी होती है. ताकि वृद्धि निगरानी के दौरान परेशानी नहीं हो.
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