मधुबनी.
जिले की गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की ओर रुझान बढ़ा है. वहीं स्वास्थ्य विभाग संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए नित नए प्रयासों को अमली जामा पहना रही है. गर्भवती महिलाओं के प्रसव प्रबंधन की दिशा में आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर आयोजित जागरुकता कार्यक्रम और स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचना में बदलाव से संस्थागत प्रसव की तस्वीर बदल रही है. जिसका परिणाम है कि सदर अस्पताल में जनवरी 2024 से 25 दिसंबर 2024 तक 5 हजार 887 गर्भवती महिलाओं का सदर अस्पताल में संस्थागत प्रसव हुआ. इसमें 924 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन प्रसव किया गया है. इस दौरान 1 जनवरी 2024 से 25 दिसंबर 2024 तक एसएनसीयू में 140 नवजात को भर्ती किया गया. नवजात शिशु मृत्यु दर 5 प्रतिशत से भी कम रहा. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर 2024 से गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद डिस्चार्ज होने के साथ ही जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ तत्काल उपलब्ध कराया जा रहा है. लाभार्थी को भुगतान के लिए लेखापाल कार्यालय का चक्कर लगाना नहीं पड़ रहा है. इसके अलावे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत हर माह की 9 व 21 तारीख को गर्भवती महिलाओं की पूर्ण जांच की जा रही है. इसमें गर्भवती महिलाओं का गर्भधारण से लेकर प्रसव पूर्व तक पूर्ण जांच सदर अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर की जाती है. प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. एसएन झा ने कहा है कि सुरक्षित एवं संस्थागत प्रसव मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आवश्यक है. संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देखरेख में कराया जाता है. अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं. साथ ही मसलन रक्त की अल्पता, लो बर्थ बेबी एवं बर्थ एस्पेक्सिया जैसी समस्याओं से निपटने की तमाम सुविधाओं के साथ सदर अस्पताल में ऐसे नवजातों के लिए 16 बेड की आधुनिक सुविधाओं से युक्त एसएनसीयू उपलब्ध है. इसमें शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के साथ ही प्रशिक्षित जीएनएम 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहती है.आंकड़े पर गौर करें तो पिछले एक वर्ष में सदर अस्पताल में 5887 महिलाओं का सफलतापूर्वक प्रसव कराया गया. जिसमें 924 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन प्रसव कराया गया. जनवरी 2024 में 523, फरवरी में 506, मार्च 516, अप्रैल 346, मई में 361 जून 322, जुलाई में 494, अगस्त में 676 सितंबर में 597, अक्टूबर में 555, नवंबर में 510 एवं 25 दिसंबर में 81 गर्भवती महिलाओं का प्रसव हुआ. वहीं, सी-सेक्सन की बात करें तो, जनवरी 2024 में 63, फरवरी में 85, मार्च में 75, अप्रैल में 53, मई में 58, जून में 59, जुलाई में 75, अगस्त में 108, सितंबर में 95, अक्टूबर में 97, नवंबर में 81 एवं 25 दिसंबर तक 80 गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन कर प्रसव कराया गया.
जननी बाल सुरक्षा योजना के आर्थिक लाभ
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. एसएन ने कहा है कि जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद अलग-अलग प्रोत्साहन राशि दी जाती है. ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. साथ ही इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों पर संदर्भित करने के लिए आशा कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. प्रति प्रसव ग्रामीण क्षेत्रों में आशा को 600 रुपये एवं शहरी क्षेत्रों के लिए आशा को 400 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना के तहत संस्थागत प्रसव पर आम लोगों के बीच जागरूकता बढ़ रही है.
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