मधुबनी. नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ़ करने व लक्ष्य शत प्रतिशत हासिल करने के लिए विभाग प्रतिबद्ध है. इसी कड़ी में जीरो डोज टीकाकरण के क्रियान्वयन को लेकर गुरुवार को स्थानीय एक होटल में कार्यशाला आयोजित की गयी. कार्यशाला में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरकों का उन्मुखीकरण किया गया. इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसके विश्वकर्मा ने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ कर शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में नियमित टीकाकरण एक है. सरकार द्वारा 12 तरह की बीमारी से बचाव के लिए टीका दिया जाता है. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने पदाधिकारियों एवं कर्मियों को सभी टीका रोधी बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी. डीआइओ ने बताया कि कौन-कौन सी ऐसी बीमारी है जिसे टीकाकरण से दूर किया जा सकता है. इन बीमारियों का लक्षण क्या है और इससे क्या नुकसान हो सकता है. साथ ही इससे कैसे बचा जा सकता है. उन्होंने उपस्थित सभी कर्मियों को लक्ष्य के अनुरूप ड्यू लिस्ट बनाकर शत प्रतिशत टीकाकरण करने का निर्देश दिया. कार्यशाला के दौरान उन्होंने कहा कि 12 तरह की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है. नियमित टीकाकरण में गिरावट होने से जानलेवा बीमारियों के संक्रमण के बढ़ने की संभावना बनी रहती है. छूटे हुए बच्चों में वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजीज के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. आरआइ दिवस (बुधवार एवं शुक्रवार) को नियमित टीकाकरण का कार्य अनिवार्य रूप से कराने का निर्देश दिया. टीकाकरण में तेजी लाने के लिए रणनीति विकसित करें डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ. माईल कामरान ने कहा कि नियमित टीकाकरण में तेजी लाने के लिए रणनीति विकसित करें. ताकि संबंधित शमन गतिविधियों के कारण उभरने वाले टीकाकरण अंतराल को दूर किया जा सके. नियमित टीकाकरण के लिए विशिष्ट दिनों की पहचान की जानी चाहिए और गतिविधियों की योजना इस तरह से बनायी जानी चाहिए कि समय, कार्यबल की भागीदारी के संबंध में आरआई टीकाकरण गतिविधियों के साथ ओवरलैप न हो. शिशुओं का संपूर्ण टीकाकरण है जरूरी एसीएमओ डॉ. आरके सिंह ने कहा कि इस समय नवजात शिशुओं के भी स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. ताकि बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण कराकर उन्हें भविष्य में होने वाली कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सके. बच्चों के जन्म पर बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन और हेपेटाइटिस बी का टीका देना है. छह हफ्ते पर पेंटावेलेंट, 10 हफ्ते पर पेंटावेलेंट ओपीवी टू , रोटावायरस टू,14 हफ्ते पर पेंटावेलेंट, ओपीवी थ्री, रोटावायरस थ्री, आईपीवी टू, पीसीवी टू दिया जाना है. वहीं 9 से 12 महीनों पर खसरा और रूबेला वन टीका देना है. 16 से 24 महीनों पर खसरा, डीपीटी बूस्टर वन, ओपीवी बूस्टर और 5 से 6 साल पर डीपीटी बूस्टर टू का टीका देना है. इसके बाद 10 साल पर और 16 साल पर टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया, पीसीवी तथा जेई का टीका दिया जाता है. मौके पर एसीएमओ डॉ. आर. के. सिंह, प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर एस के विश्वकर्मा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज मिश्रा, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, यूनिसेफ के एसएमसी प्रमोद कुमार झा, यूएनडीपी के अनिल कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ माईल कामरान सहित दर्जनों की संख्या में स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे.
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