मधुबनी. जिले के रामपट्टी स्थित पारा मेडिकल संस्थान में नामांकित 111 छात्रों का पठन-पाठन वैकल्पिक व्यवस्था के तहत की जा रही है. ऐसे में छात्रों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया है. यहां तक कि संस्थान में प्राचार्य, ट्यूटर वार्डन सहित वार्ड ब्वाय के सभी पद रिक्त हैं. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. निर्मल कुमार को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है. इनके द्वारा कभी सदर अस्पताल से तो कभी पीएससी सें चिकित्सकों को भेजकर छात्रों का पठन-पाठन कराया जा रहा है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो दूर मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव है. पारा मेडिकल छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आलम यह है कि एक ट्यूटर के सहारे 111 छात्राओं का पठन-पाठन कार्य संचालित किया जा रहा है. विदित हो कि आईएनसी गाइडलाइन के अनुसार प्रति 10 छात्रों के लिए एक ट्थूटर के साथ ही लेक्चरर का होना अनिवार्य है. जबकि पारा मेडिकल छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एक चिकित्सक है. संस्थान के कई छात्रों ने बताया कि सप्ताह में दो या तीन दिन ही वर्ग संचालित किया जाता है. इसके अलावा प्रतिदिन सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में कार्य के लिए आना पड़ता है. विदित हो कि सदर अस्पताल में भी इसीजी का कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है, ऐसे में छात्रों का प्रैक्टिकल भी भगवान भरोसे चल रहा है. वर्तमान में पारा मेडिकल संस्थान में सत्र 2021-2023 में 32, 2022-2024 में 40 एवं 2023-2025 में 39 छात्र नामांकित है. 2 वर्षीय इसीजी डिप्लोमा कोर्स के बाद छात्रों का इसीजी टेक्निशियन के रूप में नियुक्ति होती है. प्रभारी प्राचार्य डॉ निरंजन कुमार ने कहा कि पारा मेडिकल संस्थान में किसी भी पद पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है. वर्तमान में पारा मेडिकल संस्थान में केवल इसीजी की पढ़ाई हो रही है. जिसके तहत एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं इलेक्ट्रो कार्डियो ग्राफी विषय से संबंधित पढ़ाई होती है. कई छात्रों ने कहा कि चापाकल नहीं होने के कारण, विद्युत आपूर्ति बाधित होने के बाद पेयजल के साथ ही जलापूर्ति की समस्या होती है. प्रभारी प्राचार्य डॉ निरंजन कुमार ने कहा कि जिला से लेकर राज्य स्तर के वरीय पदाधिकारी को जानकारी समय-समय पर दी जाती है.
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