Madhubani News. मधुबनी. जीवित्पुत्रिका व्रत जितिया पर्व को लेकर लोगो में असमंजसता की स्थिति बनी हुई है. इसका मुख्य कारण विभिन्न पंचांगों में व्रत को लेकर भिन्नता देखी जा रही है. कुछ पंचांग जितिया व्रत 24 सितंबर को बता रहे हैं तो कुछ पंचांग में जितिया व्रत 25 सितंबर का उल्लेख मिलता है. मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार जितिया व्रत 24 सितंबर मंगलवार को बताया गया है. जितिया व्रत में पूर्व से सप्तमी तिथि में नहाय खाय की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसमें तेल -खइर अर्पण करने, पितराइन खिलाने और ओठगन की परंपरा है. इस बार सप्तमी तिथि 23 सितंबर सोमवार को रात 7: 31 के बाद आरंभ होगा. ऐसे स्थिति में इस दिन षष्ठी संयुक्त सप्तमी में सोमवार को ही तेल -खइर अर्पण करना उचित होगा. यह परंपरा स्थान, लौकिकता और व्यवहारिकता पर भी निर्भर करता है. पं. पंकज कुमार झा शास्त्री ने कहा कि संतान की लम्बी उम्र और उसकी मंगल कामना के लिए माताएं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया या जिउतिया व्रत रखती है. ऐसी मान्यता है कि जितिया व्रत के पालन से कभी भी संतान का वियोग नहीं सहना परता है. अष्टमी तिथि को रखे जाने वाले इस व्रत से धार्मिक व आध्यात्मिक पहलु भी जुड़ा है. धर्म ग्रंथो में मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवरों द्वारा जितिया व्रत के उल्लंघन में उनके संतानों की अकाल मृत्यु का उल्लेख किया गया है. इसमें एक चील और एक सियारिन की कथा सबसे अधिक प्रचलित है. इस बार 23 सितंबर सोमवार की रात समापन काल लगभग रात 3: 20 से 4: 35 तक ओठगन का समय बेहतर होगा. इसके बाद 24 सितंबर मंगलवार को पूरा दिन रात व्रत होगा. 25 सितंबर बुधवार पूरा दिन व्रत के बाद शाम 5: 5 के बाद व्रती पारण करेगी.
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