गोपाल कृष्ण, सलखुआ : कोसी नदी के जलस्तर में लगातार आयी गिरावट के बाद तटबंध के अंदर के गांवों में भीषण कटाव जारी है. जिससे प्रखंड के बाढ़ प्रभावित इलाके के 11 पंचायत में 4 पूर्ण रूप से प्रभावित एवं 6 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हैं. इन पंचायतों के लाखों लोग बाढ़ से पीड़ित हैं. कोसी तटबंध के अंदर बसे गांवों के लोगों को नदी के जलस्तर में आयी कमी से कुछ हद तक राहत तो मिली है. अब पूर्ण रूप से पानी गांव से निकल गया है. जबकि कस्बों व नालों एवं तालाबों में पानी जमा होने से आवाजाही में समस्या उत्पन्न हो गयी है. इसी के साथ अब कोसी नदी के विकराल रूप ने घोरमाहा के कई घरों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है. नदी में घर को विलीन होता देख लोगों ने अपने घर को उजाड़ना शुरू कर दिया है. कटाव की चपेट में आकर लोगों के घर एवं खेत-खलिहान पानी में समाने लगे हैं. कड़ी मेहनत से बनाये गये घर एवं लगायी गयी फसल नदी में विलीन होते देख किसान हताश हैं. घोरमाहा, बनगामा में जारी कटाव से ग्रामीणों के मुख पर चिंता की लकीरें छायी हुई है.
फिलहाल घोरमाहा में अब तक आधा दर्जन से अधिक घर नदी के पानी में विलीन हो चुके हैं. प्रखंड अंतर्गत साम्हरखुर्द पंचायत के घोरमाहा में इस सप्ताह से जारी कटाव के कारण करीब 6 से 7 घर कोसी नदी में समा गये हैं. जिससे एक तरफ लोग कोसी बांध या पास के खेतों में घर बनाने को मजबूर हैं. वहीं जमींदार खेतों में घर बनाने नहीं दे रहे हैं. ऐसे में इनलोगों को रहने व खाने की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ कोसी तटबंध के बीच बसे लोग अपने आशियाने के नदी में समाने से हताश हैं. बताया जाता है कि जब से कोसी के जलस्तर में कमी आयी है, तभी से कोसी में कटाव बढ़ गया है. आशियाना उजड़ जाने से लोगों के पास रहने का ठिकाना भी नहीं बचा है. विस्थापित परिवार के लोग बांध पर घर बनाकर रहने लगे हैं. साथ ही सड़क मार्ग बह जाने के कारण आवाजाही में मजबूर होकर गड्ढ़े में जमा पानी से गुजरना होता है. घरेलू सामान, अनाज सहित अन्य चीजें बांध तक लाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में दैनिक मजदूरों को बाढ़ पीड़ितों को अबतक सरकारी सहायता इन परिवार को नहीं मिलने से बाढ़ पीड़ितों को भीषण कटाव व घर बार व खेतों को नदी में विलीन होने से जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है. वहीं मुशो चौधरी ने बताया कि कोसी के जलस्तर में कमी आने के बाद से ही घोरमाहा में कटाव जारी है. बीते तीन दिन में घोरमाहा, ताजपुर, बनगामा में शेष बची जमीन में से करीब 10 एकड़ में लगी धान की फसल सहित जमीन कोसी में विलीन हो चुकी है. शुरूआत में नदी का कटाव घर से दूर था तो परेशानी कम थी. लेकिन अब घरों को नदी में विलीन होते देख ग्रामीणों में डर का माहौल है. ऐसे में जायें तो जायें कहां. शनिवार से अब तक करीब आधा दर्जन से अधिक घर कोसी नदी के कटाव की भेंट चढ़ गये हैं व शेष बचे घरों को ग्रामीणों उखाड़ कर अन्यत्र जगह पलायन करने लगे हैं.
घोरमाहा के लोगों ने बताया कि अन्य वर्षों में बाढ़ के समय लोग रिश्तेदारों के घर भी पनाह लेते थे. रिश्तेदार के अलावे गांव के अन्य लोग भी मदद करते थे. लेकिन इस बार कोरोना के कारण कोई भी रिश्तेदार मदद करने आगे नहीं आ रहे हैं. प्रशासनिक व्यवस्था भी नहीं है. ऐसे में जो पड़ोसी मदद के लिए आयेगा, उसका भी घर कट रहा है. वो खुद के घरों को तोड़ तंबू के सहारे रात बिताने को विवश हैं एवं वह अपने घर को बांध तक पहुंचाने में खुद ही व्यस्त है. अब हमलोग खुद को बिल्कुल अकेला महसूस कर रहे हैं. जब किसी प्रशासन व प्रतिनिधि को फोन कर सूचना देते हैं तो ना ही कोई मदद के लिए आ रहे हैं ना कि कोई सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं. उनकी ओर से जवाब आता है कि कहीं पानी नहीं है. ग्रामीण ऐसे ही परेशान है. अगर कोसी नदी में कटाव हो रहा है तो घर बांध पर रखिए. बाद में विस्थापित व बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद दी जायेगी. कोसी तटबंध पर जीवन यापन कर रहे दर्ज़नों पीड़ितों ने बताया कि विस्थापित के लिए अबतक ना ही पुनर्वास की व्यवस्था की गयी है, ना ही अबतक बसने के लिए जमीन उपलब्ध करायी गयी है. अब अगर घोरमाहा को नहीं बचाया गया तो गांव की पूरी आबादी विस्थापित हो जायेगी. तत्काल ग्रामीणों ने कटाव निरोधी कार्य शुरू कराने की मांग की है. वहीं घोरमाहा विद्यालय भी कटाव के मुहाने पर आ गया है व कटने की कगार पर है.
इस बाबत सीओ श्याम किशोर यादव ने बताया कि विलेज प्रोटेक्शन को इस विभाग में काम करना है. वहीं कर्मचारियों के द्वारा स्थल का सर्वेक्षण किया जा रहा है. जल संसाधन विभाग को इस संबंध में कटाव निरोधी कार्य की सूचना दे दी गयी है. जल्द ही इस समस्या से निदान के लिए उपाय किया जायेगा. बाकी उच्च पदाधिकारियों को अवगत करवाया जा रहा है.
posted by ashish jha