मधुबनी. साहित्यकार प्रो. जेपी. सिंह के आवासीय परिसर में साहित्यकार राणा ब्रजेश की अध्यक्षता, प्रो. नरेन्द्र नारायण सिंह ””””””””निराला”””””””” की समीक्षा एवं डॉ. विनय विश्वबंधु के कुशल संचालन में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. कवि गोष्ठी की शुरुआत दयानंद झा के ‘मन करता है मैं भी नेता बन जाउं’ व्यंग्य रचना से हुई. डॉ. रबीन्द्र झा जुद्धक गांज मे गरसल गाजा शहर वर्तमान में होती युद्ध पर चिंता व्यक्त करती रचना के साथ ही ज्योति रमण झा ”””” पुल का ढह जाना, सरकारी निर्माण कार्य पर व्यंग्य, सुखदेव राउत सुखायल सावन मिथिला में अल्प वर्षा पर चिंता सराही गई. आध्यात्मिक कवि भोलानंद झा हिन्दू, मुस्लिम धर्म गुरु एक ही मंच पर, ऋषि देव सिंह ””””””””आयल रक्षा बंधनक दिन,डॉ. बिभा कुमारी लिखना शौक था, सबका ध्यान आकृष्ट किया. कवि प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल खेतों की पगडंडी पीपल की छाँव, भैया क्यूँ भूल गये तुम अपना गाँव, सस्वर प्रस्तुति पूरी गोष्ठी को पलायन समस्या पर सोचने को विवश किया. प्रो. जेपी. सिंह बर्फ सत्य है, प्रो. नरेन्द्र नारायण सिंह निराला मैं चली आकाश यह जीवन नश्वर है को चरितार्थ करती रचना तालियां बटोरी. डॉ. विनय विश्वबंधु, हास्य कवि बंशीधर मिश्र प्रो. इश्तियाक अहमद, राणा ब्रजेश ””””””””फूल पत्ती सुगंधी फेंके थे, हम भी आसमां की तरफ देखे थे, संदेश देती कविता अपनी छाप छोड़ी. लखनऊ से आए डॉ. कुसुम चौधरी अरे रामा चम-चम-चमकै सजन घर नाहीं रे हारी, गुजरात से आए डॉ. पंकज लोचन, स्नेहा किरण सहित सभी कवि ने अपना प्रस्तुति दी. गोष्ठी के समापन के बाद प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल ने राष्ट्रीय कवि संगम के त्रिदिवसीय प्रांतीय अधिवेशन के आयोजन पर विस्तार से चर्चा किया एवं सभी कवि-साहित्यकारों की सहभागिता हेतु आमंत्रित किया. धन्यवाद ज्ञापन दयानंद झा द्वारा दी गई.
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