पाली से बरदाहा तक 16.2 किलोमीटर की दूरी में जगह-जगह महाराजी बांध जर्जर
प्रखंड के पश्चिमी भू-भाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के दायरे में आता है. बाढ़ से बचाव को लेकर कई बांध निर्मित है, जिनमें महाराजी बांध उर्फ जमींदारी बांध, बाढ़ सुरक्षा बांध और रिंग बांध आदि शामिल है.
बेनीपट्टी . प्रखंड के पश्चिमी भू-भाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के दायरे में आता है. बाढ़ से बचाव को लेकर कई बांध निर्मित है, जिनमें महाराजी बांध उर्फ जमींदारी बांध, बाढ़ सुरक्षा बांध और रिंग बांध आदि शामिल है. इन दिनों महाराजी बांध की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. जगह-जगह बांध क्षतिग्रस्त है. कहीं ट्रैक्टर आदि के परिचालन तो कहीं रेन कट और चूहे के बिल आदि विभिन्न कारणों से बांध क्षतिग्रस्त हो चुका है. बीते वर्षों में भीषण बाढ़ की तबाही क्षेत्र के हजारों लोग झेल चुके हैं. आमतौर पर मई महीने से बरसात होना शुरू हो जाती है. ऐसे में हर वर्ष एहतियात के तौर पर बारिश आने से पहले ही संभावित बाढ़ पूर्व ही बांध मरम्मत कार्य शुरू हो जाया करती थी. लेकिन इस वर्ष अप्रैल माह समाप्ति की ओर है, लेकिन बांध के किसी भी क्षतिग्रस्त जगहों पर एक टोकरी मिट्टी तक नहीं डाली जा सकी है. जबकि बांध की स्थिति इस समय ऐसी है कि सभी बांधों की मजबूतीकरण की जरूरत है. जिससे बाढ़ प्रभावित जोन के लोग बेहद चिंतित हैं. मिली जानकारी के अनुसार अनुमंडल के बेनीपट्टी और बिस्फी प्रखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बाढ़ से बचाव के लिये महाराजी व इससे जुड़े अन्य सुरक्षा बांध करीब 50 किलोमीटर की दूरी में फैला हुआ है. बेनीपट्टी प्रखंड के पाली से बिस्फी प्रखंड के बरदाहा तक करीब 16.02 किलोमीटर की दूरी में बने महाराजी बांध पर पिछले करीब एक दशक से एक टोकरी टोकरी मिट्टी भी नहीं डाली गई है. पाली पंचायत की मुखिया अमेरिका देवी ने कहा कि पाली से बरदाहा तक 16.02 किलोमीटर के महाराजी बांध के पूर्णरूपेण मरम्मत की जरूरत है. पाली उत्तर टोले के महाराजी बांध के ऊपर बनी सड़क के नीचे मिट्टी नहीं पड़ने के कारण कई जगहों पर बड़े छोटे मिलाकर सैकड़ों सुराख बन चुके हैं. करीब एक दशक पूर्व इस बांध के ऊपर सड़क बनी थी. इसके बाद कभी इसकी मरम्मत नहीं हुई. पाली उत्तर टोल से एसएच 52 मुख्य सड़क तक करीब एक किलोमीटर की दूरी में बने महाराजी बांध बीते वर्ष 2017 की विनाशकारी बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गई थी. जिसके 7 वर्ष बीतने के बाद भी आज तक मरम्मत नहीं हो सकी. पाली उत्तर टोल, पाली मंझिला टोल व पाली गोठ टोल में महाराजी बांध की स्थिति जर्जरता के कारण बद से बद्तर है. संभावित बाढ़ से पूर्व इस बांध की मरम्मत नहीं की गई और अचानक बाढ़ आ गई तो एक बार फिर से तबाही मच सकती है. बांध और अधवारा समूह की विभिन्न सहायक नदियों के किनारे के आस-पास कई दर्जन गांव अवस्थित है जो बाढ़ की तबाही में त्राहिमाम करते नजर आते रहे हैं. पाली पंचायत के मुखिया ने बताया कि बरसात व बाढ़ के समय में जल निकासी के लिये पाली उत्तर टोल, पाली मझिला टोल व पाली गोठ टोल में 3 जगहों पर 3 स्लुइस गेट बनाने की आवश्यकता है. बांधों की स्थिति बेहद जर्जर बनी हुई है. बाढ़ आती है तो जगह-जगह बांध टूट जाता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है