Mahendra Malangiya को मिला मैथिली भाषा का साहित्य अकादमी पुरस्कार, प्रबंध संग्रह के लिए हुए सम्मानित

Mahendra Malangiya: महेन्द्र मलंगिया को साहित्य अदाकमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. महेन्द्र को भारत के पड़ोसी देश नेपाल के भी लगभग सभी उत्कृष्ट सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है.

By Paritosh Shahi | December 18, 2024 5:52 PM

Mahendra Malangiya: महेन्द्र मलंगिया को साहित्य अकादमी अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया है. महेंद्र मलंगिया भारत और नेपाल के सबसे सम्मानित नाटक लेखकों और थिएटर निर्देशकों में से एक हैं. वे पिछले चार दशकों से नाटक लिख रहे हैं और निर्देशित कर रहे हैं. मलंगिया द्वारा मैथिली भाषा में लिखी गई ‘प्रबंध संग्रह’ पुस्तक को साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है.

साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 लिस्ट

कौन हैं महेन्द्र मलंगिया

महेन्द्र मलंगिया मधुबनी जिले के मलंगिया गांव के रहने वाले हैं. पहले उनका नाम महेंद्र झा था लेकिन बाद में उन्होंने अपना नाम महेंद्र मलंगिया रख लिया. मलंगिया बभनगामा गांव में शिक्षक था. वो भूगोल पढ़ाते थे. मलंगिया अब तक 13 नाटक लिख चुके हैं. उन्होंने कई रेडियो नाटक भी लिखे. महेन्द्र मलंगिया ने मिथिला नाट्य कला परिषद (MINAP) खोला, जिसे नाटकों का प्रयोगशाला कहा जाता है.

महेन्द्र मलंगिया भारत ही नहीं नेपाल में भी कई सम्मान पा चुके हैं. पड़ोसी देश नेपाल के लगभग सभी उत्कृष्ट सम्मान से इन्हें सम्मानित किया जा चुका है. इनके शिष्य आज भारत के कोने-ने में हैं. संस्कृति मंत्रालय से इन्हें फेलोशिप मिल चुका है. रिटायरमेंट के बाद मलंगिया अपने गांव आ गए.

महेन्द्र मलंगिया ने ओकरा आंगंक बारहमासा, जुआयल कनकनी, गाम नई सुताय, कथका लोक, मौलिक कृति, राजा सलहेस, कमला कटक राम, लक्ष्मण और सीता, लक्ष्मण रेखा खंडित, एक कमल नोर्मे, पूष जार की माघ जार, खिचड़ी, छुटाहा पॉट जैसे नाटक लिखे.

प्रबंध संग्रह

प्रबंध संग्रह में 42 वर्षों का शोध

प्रबंध संग्रह में कुल उन्नीस लेख हैं. पुस्तक की शुरुआत प्रबंधों के संग्रह के संदर्भ में से होती है, जो निबंध और शोध को अच्छे तरीके से समझाती है. अक्सर पहली नजर में इन शब्दों का मतलब एक ही लगता है, लेकिन इन्हें पढ़ने के बाद ही आपको एहसास होता है कि ये कितने अलग हैं. उन्होंने सभी लेखों की पृष्ठभूमि, पहले प्रकाशित सभी लेखों की अंतर्कहानी पीड़ा, कई लेखों की एकरसता के कारण आदि का विवरण देकर अपने शोध के प्रति अपनी निर्भीकता और आत्मविश्वास का परिचय दिया है. इस संग्रह में प्रकाशित लेखों की श्रृंखला बहुत बड़ी है- पहला लेख 1972 ई. में प्रकाशित हुआ था. इस प्रकार, इस ‘प्रबंध संग्रह’ को कुल 42 वर्षों का शोध कहा जा सकता है.

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