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सुहागिन महिलाओं ने श्रद्धा व भक्ति भाव से की वटवृक्ष की पूजा

वट सावित्री व्रत बेहद पुण्यदायी माना गया है.प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरुवार को सुहागिनों ने श्रद्धा भाव व हर्षोल्लास के साथ वट सावित्री की पूजा अर्चना की.

मधुबनी. वट सावित्री व्रत बेहद पुण्यदायी माना गया है.प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरुवार को सुहागिनों ने श्रद्धा भाव व हर्षोल्लास के साथ वट सावित्री की पूजा अर्चना की. कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाने वाली यह पर्व शहर से लेकर गाव तक सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा की. पंडितों की मानें तो वैदिक ग्रंथों, उपनिषद व पौराणिक ग्रंथों में वाले वट प्रजाति के वृक्षों में बरगद को अमूल्य बताया गया है. इसकी जड़, छाल, पता, दूध, छाया और हवा न सिर्फ मनुष्यों बल्कि पृथ्वी, प्रकृति एवं जीव- जंतुओं के लिए जीवन रक्षक माना गया है. मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है. यह व्रत सुहागिन अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है. इस दिन कुछ महिलाएं निर्जला व्रत रखकर बरगद पेड़ की पूजा करती है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की सलामती के लिए इस दिन उपवास रखती है. ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं इस दिन का व्रत रखती है. उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है. वट सावित्री व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है. हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या बहुत शुभ माना जाता है. क्योंकि इस तिथि पर शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है, जो महिलाएं यह कठिन व्रत करती है. उनका वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा रहता है. शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर वट वृक्ष के पास शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने के लिए महिलाओं की काफी भीड़ दिखी. कच्चा सूत, जल से भरा कलश, हल्दी, कुमकुम, फूल और पूजन की सभी सामग्री लेकर वट वृक्ष की पूजा अर्चना की. वट वृक्ष पर जल अर्पित कर देसी घी का दीपक जलाकर सभी पूजन सामग्री एक-एक कर भक्ति भाव से अर्पित की. इसके बाद वट वृक्ष के चारों ओर 7 बार परिक्रमा कर उसके चारों ओर कच्चा सूत बांधी. इस अवसर पर वट सावित्री की कथा का श्रवण कर आरती से पूजा का समापन किया. भगवान का आशीर्वाद लेकर पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की. इसके बाद परिवार के बड़े-बुजुर्ग से भी आशीर्वाद लिया.

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