मुसलमानों ने अलविदा जुम्मे की अदा की नमाज
रमजान महीने की आखरी जुम्मा शुक्रवार को अदा किया गया.
मधुबनी. रमजान महीने की आखरी जुम्मा शुक्रवार को अदा किया गया. जुमा की नमाज से पहले तकरीर करते हुए बाटा चौक जामा मस्जिद मधुबनी के इमाम शहजाद ने बताया कि आज रमजानुल मुबारक का 25 वां रोजा है मौके से आप सल्लल्लाहू अलाइहे वसल्लम ने फरमाया जब माहे रमजान की पहली रात आती है तो शैतान और सरकश जिन जकड़ दिए जाते है. जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते है. जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है. पुकारने वाला पुकारता है खैर के चाहने वाले आगे बढ़ और बुरा चाहने वाले रुक जा और रमजान के हर रात बंदे को जहन्नुम से आजाद कर के जन्नत के अंदर दाखिल करता है. यह महीना सब्र का महीना है. सब्र का बदले अल्लाह जन्नत फरमाता है. उन्होंने बताया कि रमजान के महीने का रोजा रखना उन के लिए फायदेमंद है जो रोजे के हालात में बुराइयों से बचें. उन्होंने कहा कि अल्लाह को ऐसे बंदे की जरूरत है जो रोजे के साथ-साथ पूरी तरह से इस्लाम पर अमल करें. ऐसे रोजदार को अल्लाह पूरा सवाब देंगे. उन्होंने बताया कि एक महीने का रोजा रख लेते हैं इसका यह मतलब नहीं कि हम 11 महीने वैसे खुलेआम रहें. कुरान के दूसरे पारे में लिखा है रोजा रखना हर मुसलमान के लिए जरूरी है. रोजा सिर्फ भूखे, प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि खुद पर नियंत्रण करना, अश्लील या गलत काम से बचना है. इसका मतलब हमें हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों के कामों को नियंत्रण में रखना है. मुबारक महीने में किसी तरह के झगड़े या गुस्से से ना सिर्फ मना फरमाया गया है. बल्कि किसी से गिला शिकवा है तो उससे माफी मांग कर समाज में एकता कायम करने की सलाह दी.