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हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर है नागार्जुन की रचनाएं

हिन्दी साहित्य समिति मधुबनी की ओर से कवि भोलानंद झा के आवास पर पूर्व प्राचार्य प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को दो सत्रों में साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया.

मधुबनी. हिन्दी साहित्य समिति मधुबनी की ओर से कवि भोलानंद झा के आवास पर पूर्व प्राचार्य प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल की अध्यक्षता में बीते शुक्रवार को दो सत्रों में साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया. प्रथम सत्र में हिन्दी साहित्य में नागार्जुन विषय पर विचार गोष्ठी एवं द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. परिचर्चा में समिति के संयोजक कवि पंकज सत्यम ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि नागार्जुन हिन्दी साहित्य के अमूल्य धरोहर थे. वे अपनी रचनाओं में आमजन की बात करते थे. दयानंद झा ने कहा नागार्जुन अपनी रचनाओं में मानव की पीड़ा को उकेरा था. भोलानंद झा ने कहा नागार्जुन की कविताओं में प्रतिरोध का स्वर सर्वत्र व्याप्त है. डॉ. विनय विश्वबंधु ने कहा कि नागार्जुन जनमानस के सफल और सिद्धहस्त साहित्यकार माने जाते हैं. अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल ने कहा नागार्जुन की रचनाओं में परिवर्तन एवं न्याय की चेतना का स्पष्ट स्वर दिखता है. इनकी कविता स्थान विशेष का न होकर पूरे देश की कविता है. इसीलिए नागार्जुन जनकवि के रूप में जाने जाते हैं. द्वितीय सत्र में आयोजित कविगोष्ठी में सुभाष चंद्र झा सिनेही, दयानंद झा, भोलानंद झा, पंकज सत्यम, डॉ. विनय विश्वबंधु, प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल की रचनाएं खूब सराही गयी. संचालन डॉ. विनय विश्वबंधु व धन्यवाद ज्ञापन भोलानंद झा ने किया.

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