मधुबनी . बाल साहित्य के लिए मैथिली के प्रसिद्ध कवि-कथाकार डॉ नारायणजी को साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. उन्हें यह पुरस्कार बाल कथा-संग्रह अनार के लिए दिया जाएगा. जिले के घोघरडीहा गांव निवासी डॉ. नारायणजी की पहली कविता-संग्रह वर्ष 1993 में हम घर घुरि रहल छी प्रकाशित हुई थी. इसके बाद उनकी चार कविता-संग्रह प्रकाशित हुई है. जो काफी चर्चित हुए. उन्होंने कथाएं भी खूब लिखी. इनकी दो कहानी-संग्रह प्रकाशित है. चित्र और सांझबाती. डॉ. नारायणजी ने समीक्षाएं और बाल कहानियां भी लिखी है. अनार बाल कथा संग्रह को बाल साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कहानी-संग्रह माना गया है. चेतना समिति द्वारा माहेश्वरी सिंह महेश पुरस्कार और कीर्तिनारायण मिश्र साहित्य सम्मान से सम्मानित डॉ. नारायणजी पेशे से किसान हैं और गांव में रहकर ही देसी-विदेशी साहित्य का अध्ययन करते हैं. साहित्य में हो रहे बदलाव को परखते हुए लेखन करते हैं. बच्चों के मनोभाव और उनके आदर्श को आधार बनाकर लिखी कहानी अनार सबसे पहले बालबंधु पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. उनकी यह पुस्तक नवारम्भ प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. पुरस्कार के लिए उनका चयन होने पर उदयचंद्र झा विनोद, अजित आजाद, चंडेश्वर खान, विभूति आनंद, आनंद मोहन झा, देवेन्द्र झा देबू भाइ, अखिलेश कुमार झा, शुभ कुमार वर्णवाल, वीरेन्द्र झा, लूटन झा महाविद्यालय के प्राचार्य रवींद्रनाथ झा ने हर्ष प्रकट करते हुए बधाई दी है.
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