जिले में नाइट ब्लड सर्वे की हुई शुरुआत
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत शुक्रवार की देर रात अर्वन क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय रांटी में की गई
मधुबनी. जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत शुक्रवार की देर रात अर्वन क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय रांटी में की गई. जिसका उद्घाटन एसीएमओ डॉ. आरके सिंह ने किया. इस अवसर पर डॉ. सिंह ने कहा कि नाइट ब्लड सर्व के लिए जिले के तीन प्रखंडों व शहरी क्षेत्र में कुल 8 सेशन साइट बनाये गये हैं. सभी सेशन साइट पर प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन के साथ अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह ने कहा है कि फाइलेरिया के संभावित मरीजों का पता लगाने के लिहाज से नाइट ब्लड सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है. शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं. लिहाजा नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का सबसे उचित माध्यम है. डॉ. सिंह ने कहा कि शहरी क्षेत्र सहित तीनों प्रखंडों में में दो-दो सत्र स्थलों का चयन किया गया है. इसमें 300-300 स्लाइड रक्त का नमूना संग्रह किया जाएगा. सर्वे में रात के 8:30 बजे के बाद 20 वर्ष से उम्र के लोगों के रक्त का नमूना लिया जाएगा. दोनों सत्र स्थलों में से किसी एक स्थल में माइक्रो फाइलेरिया का दर 1 या 1 से अधिक होने पर संबंधित प्रखंडों में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जाएगा. माइक्रो फाइलेरिया का दर एक से कम होने पर वहां एमडीए अभियान नहीं चलाया जाएगा. अभियान के बाद संबंधित प्रखंडों में माइक्रो फाइलेरिया का प्रसार है या नहीं इसकी सत्यता की जांच के लिए प्री – टास्क किया जाएगा. डा. सिंह ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे एमडीए राउंड से 1 या डेढ़ माह पूर्व व अभियान खत्म होने के 6 माह बाद किया जाता है. नाइट ब्लड सर्वे एक महीना पूर्व करने का मुख्य कारण लोगों में माइक्रो फाइलेरिया का संक्रमण है या नहीं इसके लिए स्थान चयन करने के लिए किया जाता है. इसके साथ ही 6 माह बाद एमडीए राउंड का प्रभाव कितना हुआ यह देखने के लिए भी किया जाता है. रात्रि रक्तपट संग्रह के लिए चयनित स्थलों की सूची रात्रि रक्तपट संग्रह के लिए नगर निगम क्षेत्र में 2 सत्र स्थल तथा तीन प्रखंडों में 2-2 सत्र स्थल बनाए गए हैं. इसमें एक रैंडम तथा दूसरा फिक्स साइड बनाया गया है. इसके तहत शहरी क्षेत्र के रांटी व बड़ा बाजार, पंडौल के श्रीपुर हाटी व शाहपुर, बेनीपट्टी के तिसयाही व ढंगा एवं, बिस्फी प्रखंड के उत्तराही वह घाटबत्रा को शामिल किया गया है. ब्लड जांच कराने से रोका जा सकता है फाइलेरिया :फाइलेरिया ग्रसित होने की पहचान लोगों को पांच से दस साल बाद पता चलता है. इस समय तक संबंधित व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया का कीटाणु बहुत अधिक मात्रा में पनप जाता है. ऐसे मरीजों को नियंत्रित रखने के लिए मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित नहीं किया जा सकता. शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु रात में ही एक्टिव अवस्था में रहता है. इस समय जांच करवाने से उनके शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है. नाईट ब्लड सर्वे में जांच करवाने पर संबंधित व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु के उपलब्ध होने की जानकारी शुरुआत में ही हो जाती है. इसके बाद उन्हें तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराते हुए फाइलेरिया से सुरक्षित किया जा सकता है. इसकी पहचान के लिए सभी सेंटिनल और रेंडम क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को भाग लेकर उनके शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया के उपस्थित होने की जानकारी लेना चाहिए. ऐसा करने से संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रहेंगे. इस अवसर पर एसीएमओ डा. आरके सिंह, डीवीबीडीसीओ डा. डीएस सिंह, लिपिक लक्ष्मी कांत झा सहित लैब टेक्नीशियन उपस्थित रहे.
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