Madhubani News : जिले में टीबी मरीजों की संख्या में हो रहा इजाफा

सरकार वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित किया है. वहीं दूसरी ओर टीबी मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 8, 2025 11:06 PM

मधुबनी.

सरकार वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित किया है. वहीं दूसरी ओर टीबी मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हो रहा है. आंकड़े पर गौर करें तो जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक जिले में जहां टीबी मरीजों की संख्या 6 हजार 856 थी. जो जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 में बढ़कर 8 हजार 570 हो गयी. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन टीबी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण विभाग द्वारा टीबी को जड़ से समाप्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसके लिए एनटीइपी कार्यक्रम को लेकर एएनएम स्कूल सभागार में बुधवार को जिला संचारी रोग पदाधिकारी डा. जीएम ठाकुर की अध्यक्षता में मासिक समीक्षा बैठक हुई.बैठक में सीडीओ डॉ. जीएम ठाकुर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग हर स्तर पर टीबी मरीजों की लगातार पर्यवेक्षण एवं निगरानी कर रहा है. उन्होंने कहा कि जिले में वर्ष 2024 में 8570 नए टीबी मरीजों की पहचान की गई है. जिले में टीबी मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण अधिकांश मरीजों द्वारा बीच में ही इलाज छोड़ देना एवं नियमित रूप से दवा का सेवन नहीं किया जाना है. इसके लिए विभाग द्वारा निक्षय मित्र योजना की शुरूआत की गई है. इस योजना के तहत टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें कोर्स के अनुसार दवा का सेवन एवं अन्य सहायता दी जाती है. ताकि मरीज नियमित रूप से दवा का सेवन कर टीबी रोग से मुक्त हो सकें. उन्होंने कहा कि टीबी मुक्त जिला बनाने के लिए सरकार और विभाग अपने स्तर से पूरी तरह प्रयासरत है. लेकिन इसके लिए अब समाज के हर एक व्यक्ति को जागरूक होने की आवश्यकता है. ताकि टीबी के खिलाफ लड़ाई में आसानी से विजय प्राप्त किया जा सके. बैठक में उन्होंने सभी एसटीएस एवं एसटीएलएस को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि प्रत्येक 1 लाख की जनसंख्या पर कम से कम 3000 लोगों की जांच करना अनिवार्य है.

वर्ष 2024 में 8570 टीबी मरीज हुए चिह्नित

जिला यक्ष्मा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 तक जिले में 8570 टीबी मरीजों को चिन्हित किया गया. इसमें सरकारी संस्थानों द्वारा 3327 एव निजी संस्थानों द्वारा 5251 मरीजों को चिन्हित किया गया. सरकार द्वारा प्रतिवर्ष सरकारी संस्थानों को 3600 एवं निजी संस्थानों द्वारा 6000 हजार टीबी मरीजों को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है. इसके तहत एक वर्ष में 8570 टीबी मरीजों को चिन्हित किया गया है. इसमें अंधराठाढ़ी में 160, बाबूबरही में 170, बासोपट्टी में 140, बेनीपट्टी में 300, बिस्फी में 260, घोघरडीहा में 160, हरलाखी में 160, जयनगर में 160, झंझारपुर में 170, कलुआही में 100, खजौली में 120, खुटौना में 170, लदनियां में 130, लखनौर में 130, लौकही में 150, मधेपुर में 220, मधुबनी सदर में 280, माधवपुर में 110, पंडौल में 220, फुलपरास में 130 एवं व राजनगर में 160 टीबी मरीजों को चिन्हित किया गया. वहीं जिले में एमडीआर टीबी के 14 मरीज चिह्नित किया गया है. इसमें एमडीआर टीबी मरीजों का उपचार 9 माह से 2 साल तक चलता है.

सरकारी अस्पताल में ही कराएं टीबी का इलाज

डीपीसी पंकज कुमार ने कहा कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज, जांच एवं दवा निःशुल्क उपलब्ध है. दवा के साथ टीबी मरीज को पौष्टिक आहार के लिए मरीज को पहले माह से ही 1 हजार रुपए प्रतिमाह सहायता राशि दी जाती है. इसके बाद भी देखा जा रहा है कि कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े-बड़े निजी अस्पतालों या फिर बड़े शहर की ओर रुख कर जाते हैं. हालांकि उन्हें वहां से निराश होकर संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों की शरण में ही आना पड़ता है. उन्होंने कहा कि जैसे ही टीबी के बारे में पता चले, तो सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल जाकर जांच कराएं. जिले में टीबी मरीजों के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जा रही है. बैठक में डीसी पंकज कुमार, भवन नारायण कंठ सहित सभी प्रखंडों के एसटीएस एवं एसटीएलएस उपस्थित थे.

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