मधुबनी. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही कहें व मजबूरी भवन निर्माण विभाग द्वारा लगभग 10 वर्ष पूर्व घोषित क्षतिग्रस्त भवन में आधा दर्जन जिला स्तरीय पदाधिकारियों के कार्यालय का संचालन किया जा रहा है. इसमें लगभग तीन दर्जन स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कार्यालीय कार्य करने को विवश हैं. विडंबना यह है कि मलेरिया कार्यालय के 10 ×14 वर्ग फीट कमरे में 12 कर्मचारी व पदाधिकारी काम करते हैं. ऐसे में स्वास्थ्य कर्मी एवं पदाधिकारी डर के साये में रहते हैं कि कभी कोई अनहोनी घटना के शिकार न हो जाएं. इस जर्जर भवन में बड़ी घटना तो नहीं लेकिन छोटी-मोटी कई घटनाएं पूर्व में हो चुकी है. पिछले दिनों एसीएमओ कार्यालय में कार्यरत एक कर्मी की कुर्सी पर छत का एक टुकड़ा गिर गया. गनीमत यह रहा कि उस समय वह कर्मी किसी दूसरे कार्यालय में गया हुआ था. इस हादसे में वह बाल बाल बच गये. इससे पूर्व अधीक्षक कार्यालय में भी ऐसी ही घटना हुई है. इसके बाद अधीक्षक कार्यालय को पूर्व सीएस कार्यालय में शिफ्ट कर दिया गया. हालांकि इस भवन में आज भी कई कार्यालयों का संचालन किया जा रहा है. लेकिन जर्जर हो चुके भवन में कभी भी कोई बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. आधा दर्जन कार्यालय का हो रहा संचालन विदित हो कि सदर अस्पताल परिसर में अंतरराष्ट्रीय बाल वर्ष 1979 में 14 कमरे के इस भवन का निर्माण किया गया था. पूर्व में इसमें एमसीएच, जिला स्वास्थ्य समिति, एसीएमओ कार्यालय अधीक्षक कार्यालय का संचालन किया जाता था. जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय का निर्माण होने के बाद जिला स्वास्थ्य समिति भी इस भवन से नये भवन में शिफ्ट हो गया. वर्तमान में इस भवन में संचालित कार्यालय के पदाधिकारी एवं कर्मियों को इस जर्जर भवन में कार्य करने की विवशता है. स्त्री एवं प्रसूति विभाग बनने के बाद एमसीएच नये भवन में शिफ्ट हो गया. वर्तमान में इस भवन में एनसीडीओ, मलेरिया, फाइलेरिया, कुष्ठ, आईडीएसपी एवं जिला औषधि नियंत्रण कार्यालय सहित छह कार्यालयों का संचालन किया जा रहा है. जिसमें लगभग तीन दर्जन कर्मी कार्यरत हैं. कुष्ठ नियंत्रण कार्यालय में कुष्ठ मरीजों का परामर्श एवं इलाज भी इसी भवन में किया जाता है. विदित हो कि तत्कालीन सीएस डॉ सुधीर कुमार सिन्हा ने वर्ष 2013 में भवन निर्माण विभाग द्वारा इस भवन को परित्यक्त घोषित करवाया गया था. बावजूद अभी तक इसमें आधा दर्जन कार्यालय का संचालन किया जा रहा है. हालांकि सरकार द्वारा इस भवन को तोड़कर एमसीएच निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन एमसीएच का निर्माण अस्पताल परिसर में ही अन्य स्थानों पर किया जा रहा है. इस भवन में संचालित कार्यालय में कार्यरत कर्मियों ने कहा कि हम लोग डर के साए में काम कर रहे हैं. बावजूद वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण इस भवन में काम करने की विवशता है. सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा है कि मॉडल अस्पताल का निर्माण कार्य सम्पन्न हो गया है. मॉडल अस्पताल का संचालन होने के बाद आईपीडी सहित कई विभागों को मॉडल अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा. इसके बाद जर्जर भवन में संचालित कार्यालय को आईपीडी एवं अन्य खाली भवनों में शिफ्ट किया जाएगा.
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