Madhubani News. 10 लाख से अधिक के आवास निर्माण पर एक फीसदी देना होगा सेस
शहर या ग्रामीण क्षेत्रों में अगर आपने अपने आशियाने का निर्माण फरवरी 2009 के बाद करवाया है और उसके निर्माण की लागत 10 लाख रुपये से अधिक है, तो श्रभ विभाग को कुल लागत का एक फीसदी सेस चुकाने के लिए तैयार हो जाइये.
मधुबनी. शहर या ग्रामीण क्षेत्रों में अगर आपने अपने आशियाने का निर्माण फरवरी 2009 के बाद करवाया है और उसके निर्माण की लागत 10 लाख रुपये से अधिक है, तो श्रभ विभाग को कुल लागत का एक फीसदी सेस चुकाने के लिए तैयार हो जाइये. इसके लिए श्रम विभाग की ओर से नोटिस भी दिया जाएगा. मकान मालिकों से कुल लागत की एक फीसदी रकम श्रम आयुक्त कार्यालय में जमा करना होगा. विदित हो कि इस रकम का इस्तेमाल श्रमिकों के हित में चलाई जा रहीं योजनाओं में किया जाता है.
10 करोड़ से अधिक की हुई है वसूलीश्रम विभाग के अनुसार 1996 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार अधिनियम के तहत मधुबनी में वित्तीय वर्ष 2023-24 में दस करोड़ 54 लाख 27 हजार एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 में अभी तक लोगों से 40,513,490रुपये से अधिक सेस वसूला जा चुका है. बताया गया कि श्रमिकों के लिए 15 से अधिक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. इनमें मातृत्व लाभ योजना, नगद पुरस्कार योजना, कन्या विवाह सहायता योजना, मजदूरों को साइकल वितरण, निर्माण कामगार अंत्येष्टि सहायता योजना आदि शामिल हैं. इस रकम का इस्तेमाल इन योजनाओं के संचालन के लिए किया जाता है.
सेस जमा करने की तय किया गया है समय
श्रम अधीक्षक आशुतोष झा ने कहा कि मकान की लागत कवर्ड एरिया के आधार पर तय की जाती है. इसके अलावा पीडब्ल्यूडी, एलडीए और राजकीय निर्माण निगम जैसी सरकारी एजेंसियां हर साल प्रति स्क्वायर फुट के हिसाब से लागत तय करती हैं. इन एजेंसियों के न्यूनतम रेट के आधार पर भी मकान की लागत तय की जाती है.
इस नियम के तहत होती है वसूली
श्रम अधीक्षक आशुतोष झा ने बताया कि भारत सरकार के 1996 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार अधिनियम के तहत एक फीसदी सेस लेने का प्रावधान है. जिले में साल 2009 से इसे लागू किया गया था. इसके मुताबिक फरवरी 2009 के बाद आवासीय निर्माण दस लाख रुपये से अधिक होने पर एक फीसदी टैक्स देना होगा. आवासीय के अलावा किसी भी तरह के निर्माण पर कुल लागत का एक फीसदी सेस देना होगा. चाहे वह निर्माण निजी हो या सरकारी. आवास विकास और अन्य निर्माण एजेंसियों से पहले ही एक फीसदी टैक्स लिया जा रहा है. इसके बाद ही उनकी ओर से प्रस्तुत नक्शा पास होता है. जीआईएस मैपिंग कर लगाया जाएगा मकान का पता श्रम विभाग के पास कर्मचारियों की कमी के कारण सभी भवनों का सर्वे करना संभव नहीं है. ऐसे में विभाग जियोग्राफिक इन्फर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) से मैपिंग कर भवनों की स्थित का पता लगाकर नोटिस जारी करेगा. कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार श्रम विभाग प्रचार-प्रसार पर एक रुपये भी खर्च नहीं कर सकता है. इस वजह से इस नियम के बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं हो पाई है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है