Madhubani News. बाजार तक पहुंचा गीले कचरे से बना जैविक खाद

बाबूबरही प्रखंड के बाबूबरही पंचायत स्थित गांव से आने वाले गीले और सूखे कचरे से खाद बनाने का काम तेजी से चल रहा है. यही खाद के पकैट पिपराघाट में कार्तिक पूर्णिमा मेला में बेचने के लिए रखे गये थे.

By Prabhat Khabar News Desk | November 19, 2024 10:32 PM

Madhubani News. मधुबनी. बाबूबरही प्रखंड के बाबूबरही पंचायत स्थित गांव से आने वाले गीले और सूखे कचरे से खाद बनाने का काम तेजी से चल रहा है. यही खाद के पकैट पिपराघाट में कार्तिक पूर्णिमा मेला में बेचने के लिए रखे गये थे. खाद की पैकिंग के लिए थैलियां तैयार कराई गई हैं. एक किलो, पांच किलो और बीस किलो की थैलियां तैयार की गई हैं. इन थैलियों पर बाबूबली कंपोस्ट लिखा होगा. विदित हो कि बाबूबरही पंचायत में उत्पादित खाद का बाबूबली के नाम से ब्रांडिंग की गई है. यह खाद की बोरी पर सभी फसलों के लिए पोषक व लाभकारी जैविक उत्पाद का स्लोगन भी नजर आएगा. इन थैलियों में खाद की पैकिंग छानने के बाद कर्मचारियों से पैकेट बनवाए जा रहे हैं. विदित हो कि डब्लूपीयू पर बनने वाली खाद को अब तक पंचायत में ही बेचा जाता था. लेकिन अब पहली बार इसे बाजार में लाने की योजना बनाई गई है. किसानों की डिमांड भी बढ़ते जा रहा है. खाद उपयोगी होने के साथ-साथ सस्ता भी मिल रहा है. बाबूबरही पंचायत में प्रतिमाह 8 क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है. खुदरा में दस रुपये किलो, पचास किलो का बैंग 280 रुपये में एवं 1 क्विंटल 650 रुपये में बिक रहा है. बाजार तक पहुंचा कचरे से बना खाद आमतौर पर हम घर का कचरा और जूठन कचरे की गाड़ी में फेंक देते है. इसके बाद कचरे गाड़ी उसे डंपिंग यार्ड में डंप कर देती है. लेकिन जिले के 246 ग्राम पंचायत नवाचारों के मामले में कमाल कर रहा है. यहां घर –घर से कचरा और जूठन उठाई जा रही है. फिर उससे जैविक खाद बना कर बाजार में बेचकर अच्छी कमाई हो रही है. ग्राम पंचायत में बनाई गई इस खाद की बाजार में डिमांड भी काफ़ी है. गांव एवं सार्वजनिक जगहों पर मिलने वाला कचरा महज कचरा था. लेकिन अब राजस्व का बड़ा जरिया बन गया है. गांव का सारा कचरा एक साथ एकत्रित करके डंपिंग यार्ड में एकत्रित किया जाता है. बाबूबरही पंचायत में हर महीने तैयार हो रहा 8 क्विंटल खाद बाबूबरही पंचायत में कचरा जमा करने के बाद इसमें जूठन आदि को वर्मी कम्पोस्ट में बदलकर उससे जैविक खाद बनाई जा रही है. और अन्य कबाड़ को सीधा बेचा जा रहा है. हर माह कचरे से 8 क्विंटल जैविक खाद तैयार हो रहा है. बाबूबरही पंचायत में तैयार हो रही जैविक खाद को आमजन घर के बाग-बगीचों और किसान खेतों के लिए खरीद रहे हैं. इस जैविक खाद की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. इस खाद की डिमांड इतनी है जैसे खाद बनकर तैयार हो रहा लोग उसे सीधा खरीद ले रहे हैं. किसानों से मिल रहा बढ़िया रिस्पॉन्स डब्लूपीयू के स्वच्छता कर्मी ने बताया कि जैविक खाद को किसान बहुत पसंद कर रहे है. पिपरा घाट में पूर्णिमा मेला में दो क्विंटल खाद की बिक्री की जा चुकी है. किसानों को यह 10 रुपए प्रति किलो की दर से दिया जाता है. मुखिया ने कहा कि इस खाद के साइड इफेक्ट नहीं है. कचरे से खाद तैयार करने में दो से ढाई महीने का समय लग जाता है. इस खाद को कई तरह की प्रक्रिया के बाद तैयार किया जाता है. जैविक खाद बनाने के लिए सुबह छह बजे से दोपहर दो बजे तक काम होता है. जिसमे यहां के स्टाफ इस जैविक खाद को प्रोसेस के साथ तैयार करते है. इस खाद को लेकर किसानों की तरफ से बहुत बढ़िया रिस्पॉन्स मिल रहा है. क्या कहते हैं पंचायत के मुखिया बाबूबरही पंचायत के मुखिया विनोद चौधरी ने कहा कि हमारे घर से निकलने वाला कचरा भी आय का जरिया बन गया है. कचरे से जैविक खाद बनाकर बाजार में बेचकर लाभ कमाया जा सकता है. पंचायत द्वारा ऐसा ही कुछ किया जा रहा है. घर-घर से निकलने वाले कचरे से खाद बनाने के साथ ही अब इसे पैकिंग में बेची जा रही है. एक किलो से बीस किलो तक के पैकेट बनाकर बेचा जा रहा है. जैविक खाद तीन नाद में तैयार किया जा रहा है. हर महीने एक नाद से आठ क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है. अब बाजार से भी मांग आने लगी है.

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