एइएस व जेइ के संभावित खतरे से निपटने की तैयारी में जुटा स्वास्थ्य विभाग

स्वास्थ्य विभाग एइएस व जेइ के संभावित खतरे से निपटने की तैयारी में जुट गया है

By Prabhat Khabar News Desk | May 28, 2024 9:22 PM

मधुबनी. स्वास्थ्य विभाग एइएस व जेइ के संभावित खतरे से निपटने की तैयारी में जुट गया है. अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने सोमवार को विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सिविल सर्जन, डीपीएम, एवं कार्यक्रम पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश दिया है. इस संबंध में सिविल सर्जन डाॅ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि एसीएस के निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य संस्थानों को अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर का कुशल प्रबंधन जरूरी है. प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व इलाज से जान-माल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है. लिहाजा इसको लेकर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को सतर्क रहने की जरूरत है. सिविल सर्जन ने कहा है कि अप्रैल से लेकर जून का महीना रोग के प्रसार के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है. यह रोग खासतौर पर 1 से 15 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है. कुपोषित बच्चे, वैसे बच्चे जो बिना भरपेट भोजन किये रात में सो जाते हों, खाली पेट कड़ी धूप में लंबे समय तक खेलने, कच्चे व अधपके लीची का सेवन करने वाले बच्चों को यह रोग आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है. उन्होंने कहा कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर के संभावित खतरों से प्रभावी तौर पर निपटने, रोकथाम व प्रबंधन के साथ संबंधित मामलों को प्रतिवेदित करने के लिये स्पष्ट दृष्टिकोण विकसित करना मूल उद्देश्य है. उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को ग्रामीण स्तर पर कार्यरत एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, जीविका दीदियों से इसकी जानकारी साझा करने का निर्देश दिया. ला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह ने कहा कि एइएस को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को रोग प्रबंधन व उपचार संबंधी विस्तृत जानकारी दी गई है. उन्होंने कहा कि सिर में दर्द, तेज बुखार, अर्ध चेतना, मरीज में पहचानने कि क्षमता नहीं होना, भ्रम कि स्थिति में होना, बेहोशी, शरीर में चमकी, हाथ व पांव में थरथराहट, रोगग्रस्त बच्चों का शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ना एइएस व जेइ के सामान्य लक्षण है. ठीक नहीं होना मस्तिष्क ज्वर के महत्वपूर्ण लक्षण हैं. इन लक्षणों के दिखाई देने से पहले बुखार हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है. ऐसे मामले सामने आने पर रोग ग्रस्त बच्चों का उचित उपचार जरूरी है. लिहाजा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर सभी प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में रोग के उचित प्रबंधन के उद्देश्य से एइएस इमरजेंसी ड्रग किट की उपलब्धता सुनिश्चित कराई गयी है. उन्होंने कहा कि रोग से संबंधित गंभीर मामले सामने आने पर जरूरी उपचार के साथ उन्हें तत्काल एंबुलेस उपलब्ध कराते हुए उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर किया जाना जरूरी है. ताकि रोगी का समुचित इलाज संभव हो सके. उन्होंने कहा कि एइएस व जेइ एक प्राणघातक बीमारी है. सही समय पर रोग का उचित प्रबंधन नहीं होने से बीमार बच्चों की मौत हो सकती है. एइएस मच्छरों द्वारा प्रेषित इंसेफलाइटिस जिसे जापानी बुखार भी कहा जाता है, की एक गंभीर स्थिति है. जो जेइ नामक वायरस के कारण होता है. क्यूलेक्स मच्छर इस बीमारी का वाहक है. सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि सदर अस्पताल से लेकर प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में बेड की अलग व्यवस्था की गई है. ताकि आवश्यकता पड़ने पर मरीज का बेहतर चिकित्सीय प्रबंधन किया जा सके. उन्होंने कहा कि राहत की बात यह है कि जिले में एक भी एइएस व जेइ के मरीज चिह्नित नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है.

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