मधुबनी. कड़ी धूप व उमस भरी गर्मी में सबसे अधिक जरूरत पेयजल की होती है. लेकिन शहर की आधे से अधिक आबादी को पेयजल के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. भूजल स्तर में जारी गिरावट के कारण शहर के सभी चापाकल पानी देना बंद कर दिया है. नल-जल से वाटर सप्लाई सभी जगह अभी तक चालू नहीं हो पाया है. बुद्धनगर कॉलोनी, आदर्श नगर कॉलोनी, भौआड़ा सहित और कई जगह नल-जल योजना का काम पूरा नहीं होने के कारण लोगों को पेयजल की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. बुद्धनगर कॉलोनी में बोरिंग लगाने का काम पूरा हो गया है. लेकिन पेयजल आपूर्ति का काम अभी तक शुरू नहीं किया गया है. संवेदक सुबोध सिंह ने कहा कि नल-जल को लेकर आधे से अधिक घरों में पाइप वायरिंग का काम पूरा हो गया है. लेकिन कुछ स्थानीय लोगों के द्वारा विरोध के कारण पेयजल आपूर्ति चालू नहीं हो पाया है. भूजल स्तर नीचे जाने व चापाकल सूखने के कारण लोगों को डब्बा बंद पानी के सहारे जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है. शहर में लगभग एक दर्जन प्लांट के माध्यम से प्रतिदिन 70 हजार लीटर पानी बिक रहा है. प्लांट संचालक संजय कुमार,रूपेश झा ने कहा कि प्रत्येक दिन 200 से 300 लीटर पानी की मांग अधिक हो रही है. लगातार बढ़ रही मांग के कारण अब प्लांट संचालक को भी परेशानी हो रही है. प्लांट संचालक ने कहा कि जरूरत के अनुसार पानी का जार नहीं रहने के कारण प्रत्येक दिन लोग बिना पानी लिए लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि पानी के जार के लिए कोलकाता स्थित कंपनी को दस दिन पूर्व ही ऑर्डर भेजे थे. लेकिन मांग अधिक होने के कारण पानी का जार नहीं मिल रहा है.
खपत बढ़ने से पानी के जार की परेशानी
पिछले दो दिन में शहर में 10 हजार लीटर पानी की मांग अधिक हो गयी है. पानी के प्लांट संचालक ने बताया कि पानी की मांग अनुरूप प्लांट से आपूर्ति नहीं हो रही है. प्लांट संचालक संजय कुमार ने कहा है कि पहले की तरह पानी नहीं मिलने के कारण लोगों को पानी देने से असमर्थ हो गया हूं. पहले एक घंटे में तीन हजार लीटर पानी मिलता था. लेकिन अभी 3 हजार लीटर पानी सुबह में पांच घंटे में मिलता है. दिन में बहुत कम पानी मिलने के कारण नये ग्राहक को पानी नहीं दे पा रहे हैं.
क्या कहते है अधिकारी
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता विकास कुमार सिंह ने कहा कि पिछले एक साल में शहर में 500 से अधिक समरसेबल लगाया गया है. सभी जगह लगातार लग रहे समरसेबल के कारण भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है. पानी के संरक्षण को लेकर जब तक लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक परेशानी से छुटकारा नहीं मिलेगा.
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