मधुबनी. रेडक्रॉस भवन मधुबनी में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस दिवस का आयोजन किया गया. मौके पर रेडक्रॉस के संस्थापक हेनरी डुआंत की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर आगत अतिथियों ने श्रद्धांजलि व्यक्त की. अध्यक्षता सेवानिवृत्त डीआईजी चंद्रशेखर दास व भोलानंद झा ने संयुक्त रूप से किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. गिरीश पांडेय ने कहा कि युद्ध के समय घायलों के इलाज एवं शांति व्यवस्था बनाने में रेडक्रॉस का अहम योगदान रहा है. रेडक्रॉस ही ऐसा संगठन है जिसे तीन बार नोबेल प्राइज मिल चुका है. चंद्रशेखर दास ने कहा कि 1864 में रेडक्रॉस की स्थापना हुई थी. जबकि 1920 में भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी एक्ट बनाया गया था. बिहार में रेडक्रॉस की 89 शाखाएं महामारी व आपदा के समय क्षेत्र में पहुंचकर लोगों को मदद करती है. मधुबनी रेडक्रॉस द्वार कालाजार उन्मूलन एवं कोरोना के काल में पीड़ित मानवता की सेवा के लिए जगह जगह कैंप लगाकर लोगों की मदद करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाया है. भोलानंद झा ने कहा कि युद्ध के समय दो देशों के बीच युद्ध विराम की स्थिति में रेडक्रॉस का अहम योगदान रहता है. घायल सैनिकों के इलाज के लिए रेडक्रॉस युद्ध क्षेत्र में जाकर उनका समुचित इलाज करता है. इसके अलावे कई वक्ताओं ने रेडक्रॉस के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. धन्यवाद ज्ञापन प्रो. नरेंद्र नारायण सिंह निराला ने किया. कार्यक्रम में उदय जायसवाल, डॉ. अमिताभ, ज्योति रमण झा बाबा, अरुण कुमार चौधरी, मनोज पूर्वे, इंद्रभूषण रमण बमबम, अधिवक्ता सियाराम सदाय सहित दर्जनों लोग मौजूद थे.
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