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हीट वेव के थपेड़ों से रखें खुद को सुरक्षित

गर्म हवा के कारण लू लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है. बढ़ते तापमान के साथ चलने वाली गर्म तेज हवा से शरीर को सुरक्षित एवं अनुकूल करने के लिए खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना जरुरी है.

मधुबनी. गर्मी शुरु होते ही गर्म हवा का प्रकोप बढ़ने लगा है. गर्म हवा के कारण लू लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है. बढ़ते तापमान के साथ चलने वाली गर्म तेज हवा से शरीर को सुरक्षित एवं अनुकूल करने के लिए खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना जरुरी है. साथ ही नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण में सुधार कर गर्मी के दुष्परिणामों से सुरक्षित रहा जा सकता है. इस बीच हीट स्ट्रोक से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए सीएस डाॅ नरेश कुमार भीमसारिया ने सदर अस्पताल के अधीक्षक, उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल सहित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है. सीएस ने सभी स्वास्थ्य संस्थानों में आईवी फ्लुड एवं ओआरएस पर्याप्त मात्रा में रखने का निर्देश दिया है. सीएस ने गर्म हवा एवं लू चलने के दौरान होने वाली बीमारियों की रोकथाम की तैयारी को लेकर आवश्यक निर्देश दिया है. 6 माह तक के शिशुओं को करायें सिर्फ स्तनपान सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ कुणाल आनंद ने कहा कि 6 माह तक के शिशुओं के लिए सिर्फ स्तनपान ही पर्याप्त होता है. गर्मी के कारण स्तनपान के साथ किसी भी प्रकार का तरल पेय पदार्थ या पानी बच्चों को नहीं देना चाहिए. गर्मी के मौसम में अधिक से अधिक बार स्तनपान कराकर विभिन्न समस्याओं से बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है. साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए पोषक तत्वों के सेवन के अलावा प्रचूर मात्रा में पानी एवं मौसमी फल व ताजी सब्जियों का सेवन करना चाहिए. ऐसे पहचाने लू के लक्षण सिर में तेज दर्द का होना, उल्टी या जी मचलाना, बुखार होना, त्वचा का लाल गर्म एवं सूखा होना, पसीना नहीं चलना, बेहोशी या चक्कर आना, घबराहट या संशय का बढ़ जाना, अत्यधिक आलस या सुस्ती का होना लू के लक्षण हैं. दैनिक दिनचर्या एवं आहार परिवर्तन जरुरी सिविल सर्जन ने कहा है कि गर्मी के बढ़ने से पसीना निकलना शुरू होता है. जिससे शरीर में पानी की मात्रा में तेजी से कमी आने लगती है. इसलिए इस मौसम में प्रचुर मात्रा में पानी का सेवन करना फायदेमंद है. इसके साथ ही मौसमी फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने में सहायक होता है. खाली पेट घर से बाहर नहीं निकलें, सुपाच्य एवं हल्के भोजन का सेवन करें, अत्यधिक शीतल पेय पदार्थों के सेवन करने से बचें, रात्रि में देर रात तक नहीं जागें एवं कम से कम 8 घंटे की नींद जरुर लें. अत्यधिक वजन से शरीर में अतिरिक्त ऊष्मा पैदा होती है. इसलिए अत्यधिक वजन वाले लोग गर्मी के दिनों में वसा युक्त भोजन सेवन करने से बचें. सीएस ने कहा कि दोपहर में घर से निकलने से बचना चाहिए या अधिक धूप की स्थिति में छाता का उपयोग करना चाहिए. लू लगने की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श जरुरी है. प्राथमिक उपचार के तौर पर लू लगने पर ओआरएस का घोल पीना चाहिए. ताकि अतिसार से बचा जा सके. इसके इलाज के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला अस्पताल में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध करायी गयी है.

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